AI Use for homework: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। स्कूल-कालेज के होमवर्क से लेकर प्रोजेक्ट और असाइनमेंट तैयार करने में अब स्टूडेंट्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उनका काम तो आसान हो रहा है, लेकिन इससे बच्चों के दिमाग के बेसिक और क्रिएटिव लर्निंग मेथड पर प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि पढ़ाई में एआइ के इस्तेमाल पर शिक्षाविदों की अलग राय है, लेकिन टेक्नोलाजी के क्षेत्र में सक्रिय विशेषज्ञ इस चलन को गलत मानते हैं। उनका साफ कहना है कि इससे बच्चों के सीखने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है और वे आसान काम करने के चक्कर में पढ़ाई को समझ नहीं पाते हैं।
इसका सीधा उदाहरण देते हुए वे बताते हैं कि एक दौर था, जब मोबाइल फोन नहीं थे और लोग सिर्फ लैंडलाइन से ही फोन करते थे। तब लोगों को एक-दूसरे के नंबर याद रहते थे या फिर वे डायरी में नोट करते थे। जब से मोबाइल फोन आए, उनमें नंबर सेव करने की सुविधा आ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि लोग सिर्फ चुनिंदा लोगों को छोड़कर अन्य नंबर याद नहीं रखते हैं। ठीक इसी प्रकार से गणित पूरी तरह से कैलकुलेशन पर आधारित है। बच्चा जब खुद कैलकुलेशन करता है, तो उनका दिमागविकसित होता है। यदि बच्चों को कम उम्र में कैलकुलेटर दे दिया जाए, तो उसे इस तकनीक पर ही निर्भर रहना होगा। आगे चलकर उसे बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
बेसिक कैलकुलेशन में कर रहे इस्तेमाल
आजकल हर स्मार्टफोन में वाइस सर्विस की सुविधा है। इसके अलावा एलेक्सा, सिरी जैसे डिवाइस भी आ रहे हैं, जो इंटरनेट से कनेक्ट रहकर लगभग हर जानकारी सेकंडों में उपलब्ध करा देते हैं। इसका लाभ बच्चे गणित के सामान्य से कैलकुलेशन को हल करने में उठा रहे हैं। कई घरों में बच्चे अब ऐसी डिवाइस या मोबाइल साथ लेकर होमवर्क करने बैठते हैं, ताकि जल्द से जल्द उनका होमवर्क समाप्त हो जाए और वे खेल या दूसरी एक्टिविटी के लिए ज्यादा समय दे सकें।
साइंस प्रोजेक्ट भी एआइ के भरोसे
ज्यादातर बच्चे स्कूल से मिलने वाले साइंस प्रोजेक्ट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करते हैं। इसमें मुख्य रूप से बायोलाजी और फिजिक्स जैसे विषयों के प्रोजेक्ट शामिल हैं। पूर्व में साइंस प्रोजेक्ट के लिए बच्चे स्वयं रिसर्च करते थे, लेकिन अब उन्हें आनलाइन बने बनाए प्रोजेक्ट्स उपलब्ध हो जाते हैं, जिसे जोड़-तोड़कर बच्चे अपने लिए इस्तेमाल कर लेते हैं। वहीं कई बच्चे इसके लिए आनलाइन एप के साथ ही कई वेबसाइट्स का भी सहारा लेते हैं। हालांकि शिक्षाविद इसे गलत नहीं ठहराते हैं। उनका कहना है कि भविष्य में एआइ बच्चों के लिए उपयोगी ही साबित होगी।
सिलेबस में है शामिल
अब सीबीएसइ के सिलेबस में बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में पढ़ाना शामिल किया गया है। इसमें उन्हें प्रैक्टिकल के साथ ही थ्योरी की नालेज भी दी जा रही है। ऐसा कहना गलत है कि बच्चे पढ़ाई के लिए एआइ पर ही निर्भर हैं, लेकिन भविष्य में ये उनके बहुत काम आएगी।
राजेश्वरी सावंत, प्राचार्य ग्वालियर ग्लोरी हाईस्कूल
नई तकनीक के नकारात्मक पहलू देखे जाते हैं
एआइ की तरह ही हर नई तकनीक के नकारात्मक पहलू पहले देखे जाते हैं। उनका विरोध भी होता है। कब तक हम पढ़ाई को लेकर गुरुकुल परंपरा पर ही निर्भर रहेंगे। पहले मोबाइल को गलत बताया जाता था, लेकिन कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई मोबाइल पर ही हुई। इसी प्रकार पढ़ाई में एआइ के इस्तेमाल को गलत नहीं कह सकते। भविष्य में इसके फायदे भी नजर आएंगे।
प्रो. अयूब खान, समाजशास्त्री
बेसिक और क्रिएटिव लर्निंग पर असर पड़ता है
यह सही है कि आजकल बच्चे होमवर्क से लेकर प्रोजेक्ट्स बनाने के लिए एआइ का उपयोग कर रहे हैं। इससे उनकी बेसिक और क्रिएटिव लर्निंग प्रभावित होती है। बच्चा सीखने के बजाय होमवर्क को एक काम की तरह लेकर एआइ के जरिए जल्द खत्म कर देता है। यही कारण है कि कई देशों ने बेसिक पढ़ाई में एआइ को बैन किया है, क्योंकि बच्चा एआइ पर ही निर्भर हो जाता है।
संजीव गोयल, फाउंडर ईबिज टेक्नोक्रेट्स