Aeroponic technology: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में प्रदेश की पहली एरोपोनिक यूनिट बनकर तैयार हो चुकी है। इस यूनिट में शिमला से आई आलू की पौध को रोपित भी कर दिया गया है। अब हवा में आलू के बीज की पैदावार होगी, जो निरोगी होने के साथ बेहतर पैदावार देगा। प्रदेश सरकार से इस यूनिट के लिए साढ़े नौ करोड़ की राशि स्वीकृत होने के बाद से ही यूनिट का काम तेजी से चल रहा था। धनतेरस पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अरविंद शुक्ला ने भगवान धन्वंतरि की पूजा की और एरोपोनिक यूनिट का शुभारंभ कर दिया। कुलपति डा. शुक्ला और कृषि वैज्ञानिक डा. सुषमा तिवारी ने शिमला से आई पौध को रोपित किया। डा. शुक्ला का कहना है कि अगले दो सप्ताह में बीज बनने लगेगा। किसानों को अगले वर्ष तक बीज की उपलब्धता कराई जा सके।
विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलाजी विभाग के वैज्ञानिक डा. सुषमा तिवारी ने बताया कि वह केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र शिमला से पिछले सप्ताह ही बीज लेकर आई हैं। पांच तरह की वैराइटी की पौध है। इसमें चिप सोना और नीलकंठ की पौध शामिल है। शुक्रवार को चिप सोना नाम की पौध को रोपित किया गया है।
डा. तिवारी ने बताया कि कक्ष के अंदर थर्माकाल की सीट लगाईं गई हैं। इन सीट के बीच में छोटे-छोटे छेद किए गए हैं। इसमें पौध को लगाया गया है। उसका तना थर्माकाल की सीट के छेद में लगाया गया है। पौध की पत्तियां ऊपर की ओर रहती है और जड़ नीचे हवा में लटकती है। इस थर्माकाल की सीट को एक टैंक के ऊपर लगाया गया है। इस टैंक में पानी और अन्य आवश्यक तत्वों को रखा गया है। टैंक से निकलने वाला फौग पौध की जड़ को आवश्यक तत्व उपलब्ध कराता है। दरअसल, ऐरोपोनिक खेती की वह तकनीक है जिसके तहत बिना मिट्टी और पानी के बगैर फल, फूल और सब्जियों की खेती की जाती है। आलू के बीज को हवा में रखकर उस पर पोषक तत्वों का छिड़काव कर उगाया जाता है।
जिस गति से कृषि विश्वविद्यालय में काम चल रहा है। उस हिसाब से अगले साल ही किसानों को बीज की उपलब्धता करा दी जाएगी। एरोपोनिक पद्धति से तैयार होने वाले बीज निरोगी होने के साथ उसकी पैदावार पर कोई प्रभाव नहीं घटता। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस पद्धति का प्रयोग देश में कुछ स्थानों पर हो रहा है, जैसे पंजाब में इस तकनीक की मदद से आलू का बीज तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश की पहली एरोपोनिक यूनिट बनकर तैयार हो चुकी है। उसमें पौध भी लगा दी गई है। जल्द ही अब हवा में आलू का बीज तैयार होगा, जो जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
-डा. अरविंद शुक्ला, कुलपति ,राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि, ग्वालियर।