नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। जिले के 35 स्कूलों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। खतरे को देखते हुए इन भवन में कक्षाएं लगना भी बंद करा दी गई। इन भवन में लगने वाले प्राथमिक विद्यालय सामुदायिक केन्द्रों में संचालित हो रहे हैं। लेकिन इन विद्यालयों के भवन की मरम्मत कराई जा सके इस पर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। जिसके कारण हालात यह हैं कि एक कक्षा में एक से लेकर 5 और 8 तक की कक्षाएं लग रही है। ऐसे में विद्यार्थी क्या पढ़ेंगे और क्या सीखेंगे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। 35भवन पूरी तरह जर्जर होने के अलावा जिले में 513 स्कूल के भवन ऐसे है जिनकी मरम्मत होना आवश्यक है अन्यथा कुछ सालों में इनमें भी कक्षाएं लगना बंद करानी पड़ सकती है।
प्राथमिक विद्यालय लधेड़ी का भवन बने हुए करीब 40 सल हो चुके हैं। इस भवन का तल सड़क से नीचे जा पहुंचा है। जिसके कारण स्कूल के भवन में वर्षा का पानी भर जाता है। भवन की दीवारें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी और प्लास्टर उखड़ चुका है जिससे उसकी ईंटे अब बाहर झांकने लगी हैं। हालांकि यहां पर अभी भी कक्षाएं संचालित हो रही है । पर जर्जर भवन लग रही कक्षाओं पर खतरा भी बना हुआ है। लेकिन इसकी मरम्मत को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शासकीय प्राथमिक शाला रमटापुरा का भवन भी काफी पुराना है। यह भवन करीब 40 से 50 साल पुराना रहा होगा। इस भवन की दीवारें और छत से प्लास्टर उखड़ रहा है। इस भवन की मरम्मत की आवश्यकता है। जिसको लेकर कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है। लेकिन भवन का संधारण हो इसके लिए विभाग के अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि जिले में 35 भवन तो ऐसे है जिनकी उम्र करीब 50 साल से अधिक रही होगी। इनके जर्जर भवन में कक्षाएं लगाना बंद करा दी गई हैं। लेकिन 513 स्कूल के भवन भी ऐसे है जिनकी मरम्मत करना आवश्यक है। इसकाे लेकर वर्ष 2021,2022,2023 और इस बार भी वार्षिक सभा की बैठक में प्रस्ताव भेजा गया।शासन से इन सभी भवन की मरम्मत के लिए करीब दस करोड़ रुपये की मांग की गई है। लेकिन जिला स्तर से भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर सरकार ध्यान नहीं दे रही । जिससे इन भवन की मरम्मत नहीं हो पा रही है।
इस बार भी 513 स्कूलों का प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन से जो फंड मिलेगा उससे मरम्मत करा दिया जाएगा। हमारे पास ऐसा कोई फंड नहीं होता जिससे भवन की मरम्मत करा सकें। कुछ स्कूल जिनकी हालत ज्यादा खराब है उसके लिए संबंधित पंचायत की मदद से मरम्मत की जा सके। जो पूरी तरह से जर्जर है उनमें कक्षाएं नहीं लगाई जा रही है।
रविन्द्र सिंह तोमर, डीपीसी