Guna News: राघौगढ़ किले पर आज होगी 'हिल्ला' की धूम, 200 साल पुरानी है परंपरा, दिग्विजय सिंह ने गाया होली गीत
होली की तीज पर हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है हिल्ला। वर्ष 1816 में इसी दिन राघौगढ़ की सेना ने किले पर चढ़ाई कर रही ब्रिटिश सेना को खदेड़ दिया था।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 10:11:09 AM (IST)
Updated Date: Thu, 28 Mar 2024 10:11:09 AM (IST)
प्रतीकात्मक चित्र गुना। राघौगढ़ किले में होली की तीज पर हिल्ला की परंपरा रही है। इस दौरान राजपरिवार के सदस्य एकत्रित होकर अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं, तो पारंपरिक गाना और नृत्य भी होता है। बड़ी संख्या में नगरवासी और आसपास के लोग भी इसमें शामिल होते हैं। इस बार करीब 25 साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी इसमें शामिल होने वाले थे, लेकिन बाद में उनका कार्यक्रम किसी कारणवश टल गया। उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर कार्यक्रम में उपस्थित न हो पाने की जानकारी दी।
दिग्विजय ने गुनगुनाया होली गीत
दिग्विजय सिंह ने अपने वीडियो संदेश में होली गीत गाया - “राजा बल के द्वार, मची री होली, रे मचे री होली। राजा बल के द्वार, मची री होली। के चढ़ आयो तो पे लख बंजारो। के चढ़ आयो तो पे लख बंजारो। के चढ़ आयो तो पे जय सिंह खीची। राजा बल के द्वार मची री होली।”
इस तरह हुई हिल्ला की शुरुआत
होली का हिल्ला राघौगढ़ किले में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। किले से जुड़े लोग बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजों के सिपहसालार फ्रांसीसी कर्नल जान ने 1816 में राघौगढ़ किले को फतह करने के लिए हमला किया था, तो राघौगढ़ की सेना और ग्रामीणों की सूझबूझ से जान को बंदी बना लिया गया था। इसके बाद अंग्रेजों और राघौगढ़ रियासत के बीच समझौता हुआ और अंग्रेज राघौगढ़ किले पर हमला करने से पीछे हट गए थे। राघौगढ़ रियासत ने यह लड़ाई होली की तीज पर जीती थी। इसमें रियासत में शामिल खातीबाड़ा, धीरपुर, बिदोरिया सहित कई गांवों के ग्रामीणों ने लड़ाई में राजा का साथ दिया था। अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद राघौगढ़ के तत्कालीन राजा जयसिंह ने बड़े वटवृक्ष के नीचे सेना की हौसला अफजाई की थी। इसी जीत के उपलक्ष्य में हिल्ला के रूप में विजय दिवस मनाया जाता है।