गुना, नवदुनिया प्रतिनिधि। जिले की औसत वर्षा 1053.5 मिमी है, लेकिन अब तक महज 696 मिमी पानी बरसा है। मौसम विभाग के अनुसार 30 सितंबर को मानसून की विदाई हो जाती है। ऐसे में जिले ने सामान्य औसत वर्षा का आंकड़ा भी नहीं छुआ है। नदी-तालाब भी रीते हैं, जिसका असर आगामी रबी सीजन की फसलों पर भी पड़ने के आसार हैं। खास बात यह कि जुलाई माह में 404.4 मिमी और अगस्त में 435.5 मिमी ही वर्षा दर्ज हो सकी है
इस बार मानसून की शुरुआत ही कमजोर रही। कुछ दिन हल्की और तेज वर्षा का सिलसिला भी चला, लेकिन धरती की प्यास नहीं बुझ सकी। क्योंकि, अब भी नदी-तालाबों में पर्याप्त नहीं आया है, तो औसत वर्षा का आंकड़ा भी नहीं छुआ है, जिसमें अब भी 357.5 मिमी पानी की जरूरत है। यदि एक जून से अब तक की वर्षा के आंकड़ों पर गौर करें, तो महज 696 मिमी पानी बरसा है, जो सामान वर्षा का 66.1 प्रतिशत है। जबकि गतवर्ष इसी अवधि में 1627.6 मिमी वर्षा हो चुकी थी।
केंद्र वाइज वर्षा की स्थिति देखें, तो गुना में 869.7 मिमी, बमोरी में 853, आरोन में 609, राघौगढ़ में 593, चांचौड़ा में 688 और वर्षा मापी केंद्र कुंभराज में 664 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इसमें भी सबसे ज्यादा गुना और सबसे कम राघौगढ़ में हुई है। वहीं माैसम विभाग के अनुसार मानसून 30 सितंबर तक सक्रिय माना जाता है, जिसमें महज तीन दिन शेष हैं। कम वर्षा के चलते जिले के नदी-तालाबों में भी पर्याप्त पानी नहीं आ सका है। किसानों के मुताबिक इसका असर आगामी रबी सीजन की फसलों पर पड़ सकता है।
खास बात यह कि खरीफ सीजन में समय पर पानी न गिरने से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसमें सबसे ज्यादा धान की फसल प्रभावित हुई है, जो पानी के अभाव में बर्बाद हो गई। इसके अलावा सोयाबीन, उड़द और मक्का को भी नुकसान पहुंचा है। उड़द की कटाई होना थी, लेकिन पानी गिरने से कटाई नहीं हो सकी। वहीं सोयाबीन को समय पर पानी नहीं मिलने से पैदावार कमजोर रहने की संभावना जताई जा रही है।