Dindori News : डिंडौरी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। गोंडी पेंटिंग को मिला जीआइ टैग विश्व भर में विशेष पहचान दिलाएगा। प्रकृति प्रेम, आदिवासी परंपरा और अलग-अलग कहानियों पर आधारित गोंडी पेंटिंग की देश-विदेश में मांग बढ़ी है। अब जीआइ टैग मिलने से विशेष पहचान देश-विदेश में और बढ़ेगी। जिले के प्रसिद्ध गोंडी चित्रकार जनगण सिंह श्याम ने 1980 के दशक में इस पेंटिंग को पेपर और कैनवास में सबसे पहले उकेरा गया था। यही गोंडी पेंटिंग अब तक जिले के दो कलाकारों को पदमश्री पुरस्कार भी दिला चुकी है।
वर्ष 2018 में कलाकार भज्जू सिंह श्याम और वर्ष 2022 में दुर्गाबाई व्याम को भारत सरकार द्वारा पदम श्री का सम्मान क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर दिया जा चुका है। इनकी बनाई जाती है विशेष पेंटिंग गोंडी चित्रकार विशेष तौर पर मोर, शेर, भालू, हिरण, मगर, मछली जैसे जीव जंंतु नदी, पहाड़, खेत, पेड़ सहित इनके चित्रों के सीधे सादे विषय होते हैं, जिन्हें ये कलाकार लम्बाई व चौड़ाई के द्विआयामी कैनवास पर बहुरंगी रूप देते हैं। रेखाओं, बिन्दुओं से बनाए गए ये चित्र विशिष्ट छवि बनाते हैं।
करंजिया की ग्राम पंचायत पाटनगढ़ में घर घर चित्रकार है। यहां बच्चे अपने परिजनों से बचपन में ही चित्रकारी सीख जाते हैं। यहां की पेंटिंग की डिमांड महानगरों में अधिक तेजी से बढ़ रही है। पाटनगढ़ हस्तकला भवन में कपड़ों में भी आकर्षक गोंडी पेंटिंग बनाई जाती है। इन कपड़ों की डिमांड भी बढ़ रही है। पदमश्री से सम्मानित कलाकार अपने गांव आकर नए कलाकारों को ही प्रेरित करते हैं।
गोंडी पेंटिंग की यह विशेषता होती है कि इसमें हर पेंटिंग में कोई न कोई कहानी छिपी होती है। आदिवासी समाज के लोग प्रकृति प्रेमी होते हैं। वे पहाड़, पर्वत, नदियां, झरनों के साथ पशु, पक्षियों पर आधारित कहानियों से जोड़कर पेंटिंग बनाते हैं। इन पेंटिंग में कोई न कोई कहानी भी छिपी रहती है। परंपराओं और संस्कृति को लेकर भी कलाकार इसे पेंटिंग ने उकेरते हैं।
भारत में किसी भी इलाके की वस्तु को उसकी विशेषता और भूगौलिक स्थिति को देखते हुए उस स्थान का जीआइ टैग दिया जाता है, जिससे उस राज्य या जिले में संबंधित वस्तु का कानूनी अधिकारी हो जाता है। इससे उस वस्तु को कोई भी दूसरा राज्य या जिला अपने यहां का बताकर नहीं बेच सकता है। किसी क्षेत्र में विशेष गुणवत्ता की वस्तु को जीआइ टैग जियोग्राफिकल इंडिकेशन वाणिज्य मंत्रालय विभाग के इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा प्रदान किया जाता है।
जिले के करंजिया जनपद अंतर्गत ग्राम पाटनगढ़ गौड़ी पेंटिंग का केंद्र बिंदु है। यहां 1980 के दशक में शिखर सम्मान से सम्मानित जनगण सिंह श्याम द्वारा इस पेंटिंग को सबसे पहले पेपर और कैनवास में उतारा गया था। अब तक इसी के चलते दो कलाकारों को पद्मश्री भी मिल चुका है। जीआई टैग मिलने से डिंडौरी जिले की भी देश विशेष में पहचान होगी।
डा. विजय चौरसिया, प्रसिद्ध लोक संस्कृतिकार डिंडौरी।