Navratri 2023: शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है अमझेरा का माता अमका-झमका तीर्थ
Navratri 2023:अमका मंदिर ऊपर पहाड़ी पर है तो झमका माता नीचे की ओर गुफा में विराजित हैं। मंदिर परिसर में श्री गणेशजी, चामुंडा माता, राजराजेश्वर महादेव, बाबा बैजनाथ महादेव, ओघड़ बाबा व भेरूबाबा के मंदिर स्थित है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 18 Oct 2023 03:41:10 PM (IST)
Updated Date: Wed, 18 Oct 2023 03:41:10 PM (IST)
HighLights
- विंध्यांचल की सुरम्य पर्वत श्रृखंलाओं के बीच स्थित है मंदिर
- नवरात्रि पर श्रद्धालुओं द्वारा सिद्धि के लिए जप, तप, मंत्र साधना एवं विशेष पाठ किए जाते हैं।
- अमका मंदिर ऊपर पहाड़ी पर है तो झमका माता नीचे की ओर गुफा में विराजित हैं।
Navratri 2023: धार, अमझेरा। विंध्यांचल की सुरम्य पर्वत श्रृखंलाओं के बीच स्थित अमझेरा का ऐतिहासिक, पौराणिक और प्राचीन माता अमका-झमका मंदिर शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हैं। नवरात्रि पर श्रद्धालुओं द्वारा सिद्धि के लिए जप, तप, मंत्र साधना एवं विशेष पाठ किए जाते हैं अमका मंदिर ऊपर पहाड़ी पर है तो झमका माता नीचे की ओर गुफा में विराजित हैं। मंदिर परिसर में श्री गणेशजी, चामुंडा माता, राजराजेश्वर महादेव, बाबा बैजनाथ महादेव, ओघड़ बाबा व भेरूबाबा के मंदिर स्थित है।
इतिहास
मंदिर द्वापरकालीन होकर रुक्मणि हरण स्थल के नाम से विख्यात है। भगवान श्रीकृष्ण इसी अंबिकालय से रुक्मणिजी का हरण कर रथ से ले गए थे, जिसके पहियों के निशान मंदिर के पीछे आज भी दिखाई देते हैं। माता सभी भक्तों की मन्नत पूरी करती हैं। महाराष्ट्र के अनेक लोग अमका-झमका माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।
नवरात्र में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। नगर व क्षेत्र सहित दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शनों एवं मान उतारन के लिए पहुंचते हैं। अष्टमी एवं नवमी तिथि पर हवन होता है।
दर्शन की विशेष व्यवस्था
नवरात्र में श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए विशेष सुविधा का ध्यान रखा जाता है। मंदिर परिसर में दिनभर मंत्रों की ध्वनि गूंजती रहती है। नवरात्र के दौरान नगरजनों के सहयोग से चुनरी यात्रा निकाली जाती है।
नवरात्र में जगमगाती है दीपमाला
नवरात्र में प्रतिदिन माताजी की विशेष पूजा-अर्चना एवं सोने-चांदी के आभूषणों के साथ विशेष श्रृंगार किया जाता है। मंदिर परिसर में दीपमाला है, जो नवरात्र में जगमगाती रहती है। नवरात्र के दौरान अलसुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं। यहां स्थित सूरजकुंड में स्नान करते हैं।
विजय पंडित, पुजारी
प्राचीन मंदिर तीर्थ के समान है
यहां माताजी की अद्भुत व अलौकिक मूर्ति हैं, जिनके दर्शन से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में झरने व प्राकृतिक वातावरण आने वाले श्रद्धालु और पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं।
प्रकाश राठौड़, भक्त