MP Kukshi Vidhan Sabha: कुक्षी से डा. जितेंद्र व्यास। विख्यात कोटेश्वर तीर्थ से पहचाना जाने वाला धार जिले का छोटा-सा लेकिन ऐतिहासिक शहर कुक्षी, जहां नर्मदा नदी अपनी विपुल जलराशि के साथ समीपस्थ कस्बे निसरपुर में प्रवाहित होती है, जहां देवी अहिल्या ने दर्शनार्थियों के लिए सात सुंदर घाटों का निर्माण करवाया था। जहां के निवासियों ने बड़े भूभाग को कृषि के लिए पानी और बिजली उपलब्ध करने के लिए अपने वर्षों पुराने घरों सहित पूरे निसरपुर नगर को सरदार सरोवर बांध के जलभराव क्षेत्र में जाने की सहमति दी थी। यहां के लोग विस्थापन के पांच साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। भीषण गर्मी में टिन के शेड में रहे रहे सैकड़ों परिवारों की उम्मीदें रोज आंसुओं के सैलाब में डूबती हैं।
नए निरसरपुर की बसाहट के बीच यह ‘नीला कोना’ रहवासियों की व्यथा बगैर कुछ कहे ही बयां कर देता है। कुक्षी में क्षेत्र की उन्नत कृषि उपज मंडी है। फल, अनाज, कपास और मिर्च की बेहतर फसल होने के बाद भी यहां न कोल्ड स्टोरेज हैं और न फूड प्रोसेसिंग यूनिट है। अत्याधुनिक उपकरणों के साथ 100 बेड का सिविल अस्पताल तो है, लेकिन इलाज करने वाले डाक्टर नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए सिर्फ कुक्षी में स्नातकोत्तर महाविद्यालय है, लेकिन यहां भी चुनिंदा विषय है।
विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए 40 किलोमीटर दूर बड़वानी जाना होता है। निरसरपुर और डही में तीन साल पहले कालेज स्वीकृत हुए, लेकिन बन अब तक नहीं पाए। इस क्षेत्र से विधायक हैं सुरेंद्र सिंह हनी बघेल। पिछली कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बघेल कहते हैं- हमारी सरकार 15 माह रही उस दौरान विस्थापितों की मदद का कार्य तेजी से हुआ। 780 लोगों को पुनर्वास पैकेज दिलवाए गए लेकिन सरकार जाने के बाद यहां कुछ नहीं हुआ।
अपनी 15 माह की सरकार में मैने केबिनेट मंत्री रहते हुए 2191 करोड़ की कुक्षी माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना और 1085 करोड़ की डही माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना स्वीकृत की थी। इनमें से कुक्षी परियोजना 2028 में पूरी हो जाएगी और डही अगले वर्ष तक। पूरी विधानसभा का एक भी गांव ऐसा नहीं बचेगा जहां सिंचाई और पेयजल के लिए नर्मदा जल उपलब्ध नहीं होगा। विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज के लिए लगातार काम कर रहा हूं। अपनी सरकार के समय 780 लोगों को पैकेज दिलवाए भी। सड़कें, बिजली, पुल हर क्षेत्र में पूरी ताकत से विकास कार्य में जुटे हैं। क्षेत्र को ऐसा बनाना है कि यह आदर्श विधानसभा क्षेत्र के रूप में पहचाना जाए। - सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, विधायक कुक्षी
विधायक हनी बघेल को जनता ने दो बार चुनकर भेजा, लेकिन कुक्षी की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ। जनता में इस बात को लेकर असंतोष है। वे अपनी सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन फिर भी कुछ नहीं किया। जनता उनकी कार्यप्रणाली समझ चुकी है। - वीरेंद्र सिंह बघेल, पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी
- जिला बनाने की मांग- धार जिला मुख्यालय से 110 किमी दूर कुक्षी को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से हो रही है।
- सिविल अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी
- डूब प्रभावितों को अब भी पुनर्वास पैकेज का इंतजार
- कोटेश्वर तीर्थ 2017 से डूब में आ रहा है लेकिन अब तक इसे अन्यत्र स्थापित करने की दिशा में काम नहीं
- कुक्षी में गुजरात जाने वाला ट्रैफिक चौबीसों घंटे होता है। बाइपास की मांग अब तक पूरी नहीं।
लोगों की आस्था का केंद्र कोटेश्वर तीर्थ साल के सात-आठ माह बैक वाटर में डूबा रहता है। नया कोटेश्वर तीर्थ स्थल तैयार करने के लिए शासन स्तर पर बीते पांच साल में पांच प्रस्ताव बनाए गए लेकिन एक पर भी अमल नहीं हुआ। लोगों में इस देरी को लेकर भी गुस्सा है।
नए निरसरपुर के टिन शेड में रहने वाले कंचन रामचंद्र, तेरसिंह भीलिया और कालू कहते हैं- यहां के 23 गांव सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में आए थे। छह हजार से ज्यादा लोगों को सरकार ने पट्टे दिए। रहने के लिए 5400 वर्गफीट के प्लाट तक दिए, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। किसी सर्वे में कहा हमारे घर की देहरी तक ही पानी आया है, पूरा घर नहीं डूबा इसलिए मुआवजा नहीं देंगे। तो किसी को कहा मकान के पिछले हिस्से में ही डूब का पानी है अगले हिस्से में नहीं, इसलिए नियमों में नहीं आते। जहां सात माह बैकवाटर भरा रहता हो वहां कैसे रहा जा सकता है। इसलिए अपने घर छोड़कर टिनशेड में रह रहे हैं। कुछ लोगों को प्लाट मिले भी तो पुनर्वास पैकेज नहीं मिले। हालत ऐसी नहीं है कि वे अपने प्लाट पर मकान बना सकें।
कारोबारी लूणकरण गुप्ता कहते हैं- व्यापारिक केंद्र होने के बाद भी कुक्षी को जिस विकास की दरकार थी, वह नहीं हुआ है। छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए आसपास के जिला मुख्यालयों का रुख करना होता है। धार जिला मुख्यालय से 110 किमी दूर होना भी बड़ी समस्या है। कुक्षी को जिले का दर्जा मिलना चाहिए।