Aai Mata Mandir Dhar: अखंड ज्योत से झड़ता केसर माताजी का प्रतिबिंब
Aai Mata Mandir Dhar: सिर्वी समाज के पूर्वजों ने आई माताजी की गादी पाठ व अखंड ज्योत की यहां स्थापना की थी।
By Prashant Pandey
Edited By: Prashant Pandey
Publish Date: Thu, 14 Oct 2021 08:44:37 AM (IST)
Updated Date: Thu, 14 Oct 2021 08:48:55 AM (IST)
Aai Mata Mandir Dhar: कुक्षी (धार)। नगर का अतिप्राचीन शक्ति स्वरूपा श्री आई माताजी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र है। मंदिर में अखंड ज्योत से झड़ता केसर माताजी का साक्षात प्रतिबिंब है, जो श्रद्धालुओं को स्वत: ही आकर्षित करता है।
माना जाता है कि लगभग 400 वर्ष पूर्व राजस्थान से पलायन होकर सिर्वी समाज के पूर्वजों ने आई माताजी की गादी पाठ व अखंड ज्योत की यहां स्थापना की थी। श्री आई माताजी अखंड ज्योत में समाहित होकर सांसारिक जीवन से विलय हो गई। तभी से इस अखंड ज्योत से झड़ता केसर माताजी का साक्षात प्रतिबिंब बना हुआ है। नगर के मध्य सिर्वी मोहल्ले में स्थित इस प्राचीन मंदिर का वर्ष 2011 में जीर्णोद्वार हुआ तथा भव्य समारोह में धर्मगुरु दीवान माधवसिंहजी की मौजूदगी में प्राणप्रतिष्ठा संपन्न हुई थी।
मान्यता
अखंड ज्योत के मूल स्वरूप, अम्बे माताजी की मूर्ति, गादी पाठ, शिव परिवार व राम दरबार होने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक साथ सभी का दर्शन लाभ प्राप्त होता है। श्रद्धालु अपनी अपेक्षा अनुरूप मन्नात लेते हैं, जो पूर्ण होती है।
प्रसिद्धि
नवरात्र महोत्सव के दौरान यहां की सजावट दर्शनार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है। हजारों भक्त पर्व के दौरान प्रतिदिन रात में आयोजित महाआरती में शामिल होकर दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं। गौरतलब है कि आई माता का मंदिर नगर में अपना विशेष स्थान रखता है। जहां सिर्फ सिर्वी समाज ही नहीं, नगर में निवासरत अन्य समाज के लोग भी पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।
खास बात
आई माताजी के इतिहास में यह वर्णित है कि इस देवी का न तो जन्म हुआ और न ही मृत्यु। आई माताजी कन्या के रूप में बिकाजी डाबी के यहां बगीचे में प्रकट हुई और बिलाड़ा में अखंड ज्योत में समाहित हो गई। इसलिए लोग अखंड ज्योत में देवी के स्वरूप का दर्शन करते हैं।