Datia News नईदुनिया प्रतिनिधि, दतिया। नियमानुसार स्कूल परिसर से सौ मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पादों के बेचने पर प्रतिबंध है। लेकिन अधिकांश स्कूल के आसपास लगी गुमठियों और ठेलों पर तंबाकू उत्पादों की खुलेआम बिक्री हो रही है। इसे लेकर कलेक्टर भी निर्देश दे चुके हैं। लेकिन अभी तक संबंधित विभाग इन पर अमल कराने में नाकाम साबित हो रहा है।
शहर सहित जिले में शैक्षणिक संस्थानों के आसपास गुटखा-सिगरेट की दुकानें शासन के आदेश को धता बताकर संचालित की जा रही है। जिसका स्कूली विद्यार्थियों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इधर जानकारी के बाद भी जिम्मेदारों की और से ऐसी दुकानों के खिलाफ कार्रवाई का अभाव है। जबकि शासन का आदेश है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के सौ मीटर के दायरे में मादक पदार्थ, पान-गुटखा की दुकानों का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रविधान है। लेकिन फिर भी ऐसा बेखौफ किया जा रहा है जिस पर कार्रवाई करने वाले ही उदासीन हैं।
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों के आसपास ऐसी कई दुकानें संचालित हो रही हैं। इन दुकानों के नहीं हटने से स्कूली बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसे लेकर कई बार शिकायत भी दर्ज कराई जाती हैं। इसके बावजूद भी अनदेखी की जा रही है। शहर में ठंडी सड़क, पीतांबरा चौराहा, चूनगर फाटक, तलैया मोहल्ला आदि क्षेत्रों में शासकीय व अशासकीय स्कूलों के पास गुमठियां संचालित हो रही हैं। जिन पर बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू गुटखा लगातार विक्रय बड़े पैमाने पर हो रहा है।
गुमठियों पर इन छात्रों को बीड़ी, सिगरेट, पान मसाला गुटखा खरीदते हुए भी देखा जा सकता है। मजेदार बात तो यह है कि छात्र ही नहीं शिक्षक भी गुटखा चबाते हुए नजर आते हैं। गुमठियों पर चाय व नाश्ता के साथ ही बीड़ी सिगरेट गुटखा न मसाला की बिक्री की जा रही है।
नशे पर प्रतिबंध लगाने के लिए शासन ने कोटपा एक्ट का नियम लागू किया है। लेकिन इसका पूरा पालन नहीं हो पा रहा है। पिछले दो-तीन सालों के भीतर प्रशासन द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर गुटखा, तम्बाकू और सिगरेट का सेवन करने वालों के खिलाफ चालानी कार्रवाई कर खानापूर्ति की गई। लेकिन उसके बाद इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया।
स्कूल परिसर के आसपास तो ऐसी सामग्री का विक्रय प्रतिबंधित है। लेकिन बाजार में भी अब किराना, स्टेशनरी और कंफेक्शनरी दुकानदार भी तंबाकू सामग्री के पाउच, गुटखा आदि पूरी तरह सुसज्जित कर टांगे रहते हैं। जिन पर भी कार्रवाई नहीं होती।
तंबाकू व धूम्रपान के सेवन पर 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, सरकारी प्रतिष्ठानों एवं स्कूल कालेजों में उपयोग किए जाने पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कई बार मीटिंग भी की गई है। सौ मीटर के दायरे में तंबाकू व सिगरेट के विक्रय पर प्रतिबंध नियमों के अंतर्गत लगा होने के बाद भी इस पर अमल करा पाना संबंधितों के लिए मुश्किल हो रहा है। हकीकत देखें तो स्कूलों में शिक्षक से लेकर बच्चे तक धड़ल्ले से स्कूल परिसर में ही सिगरेट और पान मसाला उड़ा रहे हैं।
यूं तो शिक्षा विभाग ने शिक्षण संस्थानों में तंबाकू सेवन और उसके आसपास सिगरेट, गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, लेकिन जिले में इस आदेश का अनुपालन दूर दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहा है। स्कूल परिसर और आफिसों की दीवारों पर पीक के लाल दाग इस बात की गवाही स्पष्ट तौर पर देते हैं कि नियमों का कितना पालन हो रहा है।
स्कूलों में छात्र पान-मसाला और गुटखा जेब में भी रखे रहते हैं। उन्हें चेक करने वाला कोई भी नहीं है। चेक भी कौन करेगा। गुरुजी भी तो पान मसाले के शौकीन हैं।
स्कूलों और सरकारी कार्यालयों को तंबाकू मुक्त घोषित करने के लिए सभी निर्देशों का कढाई से पालन कराने नियम बनाए गए हैं। इसमें बच्चों को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए भारत सरकार के तंबाकू नियंत्रण अधिनियम सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 की धारा 4 एवं 6 के तहत तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान सुनिश्चित करने की व्यवस्था है।
धारा 4 के तहत शिक्षण संस्थानों सहित समस्त सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। धारा 6 ( ब ) के तहत शैक्षणिक संस्थानों के सौ गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध एवं संस्थानों द्वारा संस्था के बाहर बोर्ड पर घोषणा पत्र प्रदर्शित करना होता है। इस नियम के अनुसार जिले में कोई कार्य नहीं हो रहा है।
नियमानुसार सार्वजनिक स्थान और सरकारी दफ्तरों में धूम्रपान निषेध है, लेकिन शहर सहित ग्रामीण अंचलों में बने बस स्टाप, स्कूलों के आसपास, शासकीय दफ्तर, मंदिरों और अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम धूम्रपान भी किया जा रहा है।
स्कूलों के सौ मीटर के दायरे में संचालित गुटखा पान की दुकानें हैं तो कार्रवाई जरूर की जाएगी। निरीक्षण कर जानकारी लेंगे। प्रशासन को कार्रवाई के लिए मांग पत्र भेजने का प्रविधान है। -एसके वर्मा, बीईओ, दतिया