चीता प्रोजेक्ट की रेस में शामिल नौरादेही अभयारण्य, आ सकते हैं चीते
भारत से विलुप्त हो चुकी प्रजाति चीता को अफ्रीका से लाने की तैयारियां जोरों पर हैं और पहले चरण में चीतों को कू नो पालपुर पार्क में लाया जा रहा है। जिससे यह कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश के सबसे बड़े अभयारण्य में शामिल नौरादेही अभयारण्य में अब चीते नहीं आ सकते।
By Nai Dunia News Network
Edited By: Nai Dunia News Network
Publish Date: Mon, 24 May 2021 09:00:53 PM (IST)
Updated Date: Mon, 24 May 2021 09:00:53 PM (IST)
दमोह, तेंदूखेड़ा नईदुनिया न्यूज।
भारत से विलुप्त हो चुकी प्रजाति चीता को अफ्रीका से लाने की तैयारियां जोरों पर हैं और पहले चरण में चीतों को कू नो पालपुर पार्क में लाया जा रहा है। जिससे यह कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश के सबसे बड़े अभयारण्य में शामिल नौरादेही अभयारण्य में अब चीते नहीं आ सकते, लेकि न अभी भी चीतों की बसाहट के लिए नौरादेही अभयारण्य रेस में शामिल है और दूसरे चरण में जब चीते भारत लाए जाएंगे तो इस बात की संभावना है कि वह नौरादेही अभयारण्य में ही आएंगे। दूसरी बार यहां चीतों की बसाहट का सर्वे करने के लिए देहरादून से टीम आई थी, लेकि न कु छ सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद यह टीम वापस चली गई और शीघ्र ही आने वाली है। वहीं तीनों शावक भी मई महीने में दो साल के हो गए हैं और खुद ही शिकार कर अपना पेट भर रहे हैं।
संक्रमण के कारण वापस चली गई टीम
नौरादेही अभयारण्य मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यहां चीतों को बसाने के लिए सबसे पहले नौरादेही का ही चयन होना था जिसके लिए एक बार देहरादून से टीम सर्वे करके चली गई थी। जिसके बाद कू नो पालपुर पार्क में चीता लाने की बात सामने आई थी, लेकि न टीम को लगा कि नौरादेही में भी चीता रह सकता है और यहां की परिस्थतियों का जायजा लेने के लिए दूसरी बार टीम के सदस्य देहरादून से नौरादेही पहुंचे उन्हें करीब डेढ़ महीने यहां रहना था। चीता प्रोजेक्ट के लिए नौरादेही अभ्यारण के अंतर्गत आने वाली रेंजों की बीटो में जाकर पूरी जानकारी एकत्रित करनी थी, लेकि न टीम के कु छ सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए और सर्वे बीच में ही छोड़कर टीम वापस चली गई। नौरादेही अभयारण्य में आने वाला चीता कु लो पालपुर पार्क चला गया।