दमोह, तेंदूखेड़ा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भारत से विलुप्त हो चुके चीता तो दक्षिण आफ्रीका से भारत लाने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं और इसे मप्र में लाया जा रहा है। जिसके लिए पहले तीन जिलों में बटे नौरादेही अभयारण्य को चुना गया था, लेकि न देहरादून की टीम जब नौरादेही अभयारण्य के साथ अन्य नेशनल पार्कों का निरीक्षण करने आई थी तो उसने मुरेना-श्योपुर जिले में फै ले कू नो पालपुर नेशनल पार्क का चयन चीता की बसाहट के लिए कि या था और नौरादेही अभयारण्य को तीसरा नंबर दिया गया था, लेकि न उम्मीद फिर भी बरकरार थी और देहरादून से वाइल्ड लाइफ की टीम एक बार फिर नौरादेही अभयारण्य का निरीक्षण करने आई है टीम को अभी भी उम्मीद है कि यहां भी चीता लाया जा सकता है। इस संबंध में 22 फरवरी को नईदुनिया के द्वारा एक खबर का प्रकाशन भी कि या गया था और बताया गया था कि अभी भी नौरादेही में चीता लाने की उम्मीद बरकरार है।
गौरतलब हो कि चीता प्रोजेक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पहली टीम नौरादेही अभयारण्य पहुंची थी। जहां टीम ने नौरादेही के साथ अन्य अभयारण्य और पार्क में घूमकर वहां सर्वे कि या था। उस समय टीम को कू नो पालपुर नेशनल पार्क सही लगा और उसे पहला स्थान दिया गया। जिसके बाद नौरादेही में चीता लाने की उम्मीद खत्म हो गई थी, लेकि न टीम को नौरादेही के जंगल में ऐसे स्थान मिले थे जो चीता के रहने के लिए उपयुक्त थे इसलिए उसने दूसरी बार फिर से नौरादेही में सर्वे करने की मांग वरिष्ट अधिकारियों से की थी और चार सदस्यीय दल 12 मार्च को देहरादून से नौरादेही अभयारण्य आ चुका है। टीम के सदस्य शीघ्र ही नौरादेही के अंतर्गत आने वाली रेजों का सर्वे करेंगे और चीता प्रोजेक्ट के लिए भी दूसरी रिपोर्ट बनाई जाएगी।
अभी भी उम्मीद है बरकरार
चार सदस्य टीम 12 मार्च को नौरादेही पहुंच गई है और वह 45 दिनों तक नौरादेही अभयारण्य के अंतर्गत आने वाली रेंजों के जंगलों का सर्वे करेगी। जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारत में चीता प्रोजेक्ट चल रहा है। जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश में देहरादून से आई टीम अलग-अलग अभयारण्य और पार्कों का सर्वे कर रही हैं। चार सदस्यीय टीम जो फिर से नौरादेही में आई है वह चीता के रहने के लिए घास के मैदान व अन्य चीजों का भी सर्वे करेगी। इसलिए फायनल रिपोर्ट के बाद ही तय होगा कि चीता कि सके हिस्से में जाने वाला है।
पुष्टि करते हुए रहली एसडीओ सेवाराम मलिक ने बताया कि देहरादून से चार सदस्य टीम नौरादेही अभयारण्य में 12 मार्च को आ चुकी है। उन्होंने बताया कि टीम पूरे 45 दिनों तक नौरादेही अभयारण्य का सर्वे करे अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
चीता के लिए तैयार कि या गया घास का मैदान
गौरतलब हो कि नौरादेही अभयारण्य में चीता लाने के लिए पूर्व डीएफओ अंकु र अवधिया ने काफी प्रयास कि या था और वह स्वयं दक्षिण आफ्रीका चीता देखने गए थे। वहां से वापस आने के बाद उन्होंने चीता के रहने के लिए घास का मैदान तैयार करवाया था क्योंकि चीता तेज दौड़ने वाला प्राणी है और घांस में छिपकर ही वह अपना शिकार करता है इसलिस घांस का मैदान तैयार करवाया था इसके अलावा बड़ी संख्या में चीतल छोड़े गए थे जिससे चीता अपना शिकार कर सके , लेकि न उनके स्थानांतरण के बाद इस ओर ज्यादा प्रयास नहीं हुए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चीता को भारत लाने की अनुमति प्रदान कर दी थी जिससे नौरादेही अभयारण्य में चीता लाए जाने की संभावनाएं काफी बड़ गई थीं।