वैज्ञानिकों ने बताई मसाला फसलों को उगाने व प्रसंस्करण की तकनीक
मुख्यमंत्री ने वर्चुअली किया दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ।
By gajendra.nagar
Edited By: gajendra.nagar
Publish Date: Mon, 14 Mar 2022 12:41:17 AM (IST)
Updated Date: Mon, 14 Mar 2022 12:41:17 AM (IST)
बुरहानपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मसाला फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित करने पर मैं बुरहानपुर जिले को बधाई देता हूं। अब समय आ गया है कि हम खेती के विविधीकरण की ओर बढ़ें। पारंपरिक खेती से हटकर मसाला व अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ाएं। यह देश की जरूरत भी है।
यह बात रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मसाला फसलों को लेकर जिले में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का वर्चुअली शुभारंभ करते हुए कही। इस दौरान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस, कलेक्टर प्रवीण सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक, अधिकारी व किसान मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि सबसे पहले कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने और हर घर में नल से जल पहुंचाने के साथ ही सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन में बुरहानपुर जिला पहले स्थान पर आ चुका है।
किसानों की आय में होगी वृद्धि
कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा कि सरकार किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने और उनकी आय में वृद्धि के लिए कृत संकल्पित है। मसाला फसलों के उत्पादन और प्रसंस्करण की नई तकनीक से अवगत कराने के लिए देश के कई हिस्सों से यहां कृषि वैज्ञानिक एकत्र हुए हैं। किसान इसका लाभ उठाएं। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई खेत-सड़क योजना की जानकारी देते हुए किसानों से आग्रह किया कि जो भी किसान अपने खेतों तक सड़क बनवाना चाहते हैं, वे प्रशासन अथवा उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं। कार्यशाला को पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उपलब्ध मसाला फसलों के हाइब्रिड बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
जिले में मसाला फसलों की प्रचुर संभावनाएं
कार्यशाला से वर्चुअली जुड़े आइसीएआर संस्थान राजस्थान के कृषि वैज्ञानिक डा. एसएन सक्सेना ने कहा कि हम मसाला फसलों के बीज की ऐसी प्रजाति बनाने में सफल हुए हैं जो कीटरोधी भी है। इन फसलों का कार्यकाल एक साल होता है। इन फसलों के लिए राजस्थान, गुजरात व मप्र जैसे शुष्क व अर्धशुष्क प्रदेश सबसे अनुकूल हैं। बीजीय मसाला फसलें कम लागत में अच्छी आय का सर्वोत्तम माध्यम हैं। बुरहानपुर में भी इन फसलों के बीज दिए गए थे, जिनके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। बुरहानपुर में इसका उत्पादन बढ,ने की प्रचुर संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अब आर्गेनिक और प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए। जिससे उत्पाद को दूसरे देशों में भी निर्यात किया जा सके।
मशीनों से प्रसंस्करण आसान
पंजाब के लुधियाना से आए कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप दवंगे ने किसानों को बताया कि मसाला फसलों के मुख्य उत्पाद से ज्यादा कीमत प्रसंस्करण किए गए उत्पादों की मिलती है। आधुनिक मशीनों के जरिए धनिया, लहसुन, मिर्ची, अदरक, अजवायन, हल्दी जैसी मसाला फसलों का अर्क, तेल व पाउडर आसानी से तैयार किया जा सकता है। बाजार में इनके अच्छे दाम मिलने के साथ ही खराब होने का खतरा भी कम होता है। उन्होंने बताया कि करीब 109 मसाले आइएसओ पंजीकृत हैं। इनमें से 75 प्रकार के मसाले भारत में उत्पादित होते हैं। दुनिया की कुल जरूरत के पचास प्रतिशत मसाले भारत में पैदा होते हैं। इनमें से 32 लाख टन मप्र में उत्पादित होते हैं। अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि बुरहानपुर के गुलई गांव में बड़े दाने वाला धनिया पैदा हो रहा है। इसे जीआइ टैग कराने के प्रयास होने चाहिए। इसी तरह जम्बूपानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अजवायन की पैदावार हो रही है।