बुरहानपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। सरकारी स्कूलों में गिरती शिक्षा की गुणवत्ता और खराब हो रहे परीक्षा परिणामों का कारण जानने बुधवार को नईदुनिया टीम ने स्कूलों का रिएलिटी चेक किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस दौरान निंबोला क्षेत्र के पहली से पांचवीं कक्षा वाले हसनपुरा के पटेलपुरा स्थित प्राथमिक स्कूल में काशीराम डावर नाम का युवक बच्चों को एक कमरे में बैठा कर संभालता मिला।
स्कूल में मौजूद उपस्थिति रजिस्टर से पता चला कि उसमें सिर्फ प्रधान पाठक किरण कनासे और शिक्षिका ज्योति का नाम दर्ज है। पूछताछ में पता चला कि दाेनों शिक्षक यदाकदा ही स्कूल आते हैं। जांच में उनके स्कूल नहीं आने की सच्चाई उजागर न हो, इसलिए पांच हजार रुपये मासिक किराए पर गांव के इस युवक को लगा रखा है।
पूरे माह यही युवक स्कूल खोलता है और एक-दो घंटे समय पास करने के बाद स्कूल की छुट्टी कर घर चला जाता है। स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठक और शिक्षिका घर बैठे हर माह पूरी पगार उठा रही हैं।
बताया जाता है कि इस क्षेत्र के दूरस्थ अधिकांश सरकारी स्कूलों की यही स्थिति है। विडंबना यह है कि शिक्षा विभाग के अफसर कागजों में अपने दफ्तर पर बैठ कर ही निरीक्षण की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं। डावर ने बताया कि किरण कनासे स्कूल छोड़ कर समाज के कार्यक्रम में शामिल होने गए हैं।
बंद मिला पंधार मोहल्ले का स्कूल
नईदुनिया टीम ने इसी क्षेत्र के असीरगढ़ पंधार मोहल्ला स्थित प्राथमिक स्कूल का जायजा भी लिया। जिसमें यह स्कूल बंद पाया गया। गांव के गारसिंग कनासे ने बताया कि बीते कई दिन से स्कूल नहीं खुला है। यहां पदस्थ शिक्षिका नंदनी नामदेव और प्रधान पाठक शोभाराम अलावे माह में एक य दो दिन ही स्कूल आते हैं। स्कूल में खाना बनाने वाले स्व-सहायता समूह के सदस्य रोज सुबह स्कूल का ताला खोल देते हैं और पानी की केन भर कर रख देते हैं। शिक्षकों के स्कूल नहीं आने के कारण अब विद्यार्थियों ने भी आना बंद कर दिया है।
एक ही कक्ष में बैठ रहे पांच कक्षाओं के बच्चे
इसी तरह नवीन प्राथमिक शाला धूपगट्टा असीरगढ़ के निरीक्षण में पता चला कि यहां बीते कई साल से स्कूल भवन की कमी है। स्कूल के पास केवल एक कक्ष है, जिसमें पहली से पांचवीं तक के करीब सत्तर बच्चों को एकसाथ बैठा कर पढ़ाया जाता है। यहां पदस्थ शिक्षिका अरणा इंगले का कहना था कि भवन को लेकर कई बार विभाग को लिखा जा चुका है, लेकिन अब तक स्कूल को भवन नहीं मिल पाया है। मजबूरी में एक कक्ष में बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।
यदि स्कूलों में इस तरह की स्थिति है तो यह चिंतनीय है। गुरुवार को मैं खुद इसकी जांच करूंगा और अनियमितता पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- संतोष सिंह सोलंकी, जिला शिक्षा अधिकारी।