World Mental Health Day: इन संकेतों से पहचानें कि आपके किसी अपने को मानसिक संबल की जरूरत तो नहीं
ऐसे इंसान जो दिमागी रूप से अस्थिर हैं, वो बहुत गुस्सा करते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं या बहुत भावुक हो जाते हैं। तनाव को अगर लगातार इग्नोर किया जाए तो यह ईटिंग और स्लीप डिसऑर्डर का कारण बनता है, जो आगे चलकर अवसाद को जन्म दे सकता है।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 09 Oct 2022 04:29:41 PM (IST)
Updated Date: Sun, 09 Oct 2022 04:29:41 PM (IST)
भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। आज हर तरफ तनाव ही तनाव है। किसी को आफिस के काम को लेकर तनाव है, तो किसी को रिश्तों को लेकर तनाव। कभी-कभी तनावग्रस्त स्थितियों से व्यक्ति इतना ज्यादा निराश हो जाता है कि वह अपने जीवन के अंत के बारे में सोचने लगता है। जबकि किसी अपने की मदद उन्हें फिर से निराशा से बाहर ला सकती है। आपको बस उन आत्मघाती संकेतों को पहचानना है और उनकी मदद करना है। उनसे बात करना है।
हर किसी की जिंदगी में ऐसा पल जरूर आता है, जब इंसान की सारी उम्मीदें टूट जाती हैं और परेशानियों से निकलने का रास्ता नजर नहीं आता है। इसकी वजह किसी को खोना, फाइनेंशियल स्ट्रेस या कोई अन्य कारण भी हो सकता है। जिसमें व्यक्ति की मानसिक स्थति उसके वश में नही होती। भारतीय सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि ज्यादातर लोग निराश होकर भी परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत जुटा ले जाते हैं। जबकि जो लोग लंबे अकेलेपन या तनाव से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए इस निराशा से उबर पाना मुश्किल होता है। जो आगे बढ़कर तनाव, अवसाद और फिर आत्मघाती व्यवहार की ओर बढ़ती है।
व्यक्ति बहुत भावुक या गुस्सैल हो जाता है
किसी भी तरह का तनाव घातक हो सकता है। आर्थिक, भावनात्मक और सामाजिक किसी भी तरह का तनाव व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। ऐसे इंसान जो दिमागी रूप से अस्थिर हैं, वो बहुत गुस्सा करते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं या बहुत भावुक हो जाते हैं। मनोचिकित्सक डा. सत्यकांत त्रिवेदी के अनुसार लगातार तनाव हाइपरटेंशन, हृदय संबंधी समस्याओं और उम्र से पहले होने वाले बुढ़ापे को ट्रिगर करता है। आंखें, बाल, त्वचा और बोन हेल्थ भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाती। महिलाओं में तनाव ओवरईटिंग और मोटापे का भी कारण बन सकता है।
व्यक्ति ज्यादा खाने या सोने लगता है
तनाव को अगर लगातार इग्नोर किया जाए तो यह ईटिंग और स्लीप डिसऑर्डर का कारण बनता है, जो आगे चलकर अवसाद को जन्म दे सकता है। जबकि मानसिक सेहत संबंधी समस्या से जूझ रहा व्यक्ति आत्मघाती कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटता। खुदकुशी की प्रवृत्ति एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जब व्यक्ति का खुद पर कंट्रोल नहीं होता और वह अपना जीवन खत्म करने के बारें में सोचने लगता है। कई मामलों में समय के साथ व्यक्ति इस स्थिति से बाहर आ जाता है। लेकिन कुछ कारणों में यह बहुत ज्यादा घातक भी हो सकती है, जिसमें अक्सर इस स्थिति के लक्षणों का पता भी नहीं चल पाता है।