भोपाल(नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। चीता परियोजना के लिए कूनो पालपुर अभयारण्य सबसे ज्यादा मुफीद है, पर वहां चीता बसाया जाएगा या नहीं, यह राज्य सरकार तय करेगी। यह मुद्दा राज्य वन्यप्राणी मंडल (स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड) की बैठक में लाया जा रहा है। सरकार ने बोर्ड का गठन कर दिया है और पहली बैठक जनवरी 2021 में संभावित है। इसे देखते हुए वन विभाग ने बोर्ड के लिए प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा खरमोर ब्रीडिंग परियोजना, छत्तीसगढ़ और असम के जंगली भैंसों को मध्य प्रदेश में बसाने, तीन बाघों की शिफ्टिंग और बुरहानपुर-सागर में नए अभयारण्य खोलने के प्रस्ताव भी बोर्ड के सामने रखे जाएंगे।
श्योपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क को गुजरात के बब्बर शेरों के लिए तैयार किया गया है। ये पार्क वर्ष 2004 से शेरों को बसाने के लिए तैयार है, पर गुजरात सरकार शेर नहीं देना चाहती। शेर परियोजना पर अभी रोक नहीं लगी है। इससे पहले ही चीता परियोजना के लिए कुनो पालपुर पसंद कर लिया गया। इतना ही नहीं, विशेषज्ञों के दल ने भी कुनो को चीता के अनुकूल पाया है। अब राज्य सरकार तय करेगी कि कुनो में शेर बसाए जाएं या चीते। अगले महीने संभावित बोर्ड की बैठक में इसी पर चर्चा होगी।
वैसे चीता परियोजना को मंजूरी मिलने की पूरी उम्मीद है। क्योंकि तमाम कोशिशों के बाद भी गुजरात सरकार शेर नहीं दे रही है और हर बार तैयारियों में नई कमी निकाल रही है। पिछले साल कुनो के दौरे पर आए गुजरात के अधिकारियों ने शेर शिफ्टिंग के अंतरराष्ट्रीय मापदंड पूरे करने की शर्त रख दी थी। ये 35 मापदंड हैं। इनमें से करीब 20 मापदंड मध्य प्रदेश सरकार पूरे कर चुकी है। शेष मापदंड को पूरा करने में लंबा समय लगना है, जो शेरों की शिफ्टिंग के बाद भी पूरे किए जा सकते हैं। फिर भी गुजरात सरकार मानने को तैयार नहीं है।
बोर्ड के सामने यह प्रस्ताव भी आएंगे
बोर्ड की बैठक में खरमोर ब्रीडिंग परियोजना, छत्तीसगढ़ या असम से जंगली भैंसे लाकर कान्हा नेशनल पार्क में बसाने, तीन बाघों की शिफ्टिंग, करेरा और घाटीगांव अभयारण्य की भूमि डिनोटिफाई करने और बुरहानपुर एवं सागर जिलों में एक अभयारण्यों का गठन करने के प्रस्ताव भी लाए जा रहे हैं।