भोपाल। नवदुनिया स्टेट ब्यूरो। कांग्रेस की आदिवासी अधिकार यात्रा धोखा यात्रा है। कमल नाथ जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने आदिवासियों के हक और अधिकार को लूटने का काम किया। आदिवासियों के अधिकार लूटने वालों को यात्रा निकालने का हक नहीं है। यदि ये आदिवासियों के इतने हितैषी थे तो राजा (दिग्विजय सिंह) की जगह कांग्रेस के ही आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को राज्यसभा में भेज देते।
यह बात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कही। वे सोमवार को कांग्रेस की आदिवासी अधिकार यात्रा को लेकर मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कमल नाथ ने सहरिया, बैगा और भारिया जाति की महिलाओं को मिलने वाली एक हजार स्र्पये प्रतिमाह की राशि क्यों बंद की। कन्यादान योजना को बंद कर गरीब आदिवासियों की बेटियों को धोखा क्यों दिया था। पं. दीनदयाल उपचार, संबल योजना सहित जनकल्याणकारी योजनाएं अपनी 15 महीने की सरकार में बंद क्यों की। इन योजनाओं से समाज के सभी वर्गों को फायदा मिल रहा था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को नेतृत्व विहीन रखा। कमल नाथ स्वयं की सरकार के मंत्री उमंग सिंगार को अनसुना कर देते थे। भाजपा ने जनजाति समाज के कल्याण के लिए नेतृत्व खड़ा किया। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के राज्यपाल जनजाति समुदाय से हैं। भाजपा ने सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेजा। कांग्रेस ने जनजाति समाज के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनने दिया। कांग्रेस ने इस वर्ग को हमेशा वोट बैंक माना।
जनजाति क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध
शर्मा ने कहा कि अटलबिहारी वाजपेयी से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के विकास की दिशा में काम कर रहे हैं। कमल नाथ बताएं कि वर्षों के कांग्रेस शासन में किसी भी आदिवासी को गैस का एक सिलिंडर तक क्यों नहीं दिया गया। आदिवासी घास फूस के झोपड़े में जीवन क्यों जीता रहा।
प्रदेश सरकार ने तय किया कि 15 नवंबर (बिरसा मुंडा जन्मतिथि) को जनजाति समाज का गौरव दिवस मनाया जाएगा। 18 सितंबर को जबलपुर में वीर शंकरशाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह अभियान की शुरूआत करेंगे। मुसलमानों सहित सभी वर्गों ने कांग्रेस को नकार दिया है। किसान आंदोलन को लेकर शर्मा ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं और लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह समझना होगा कि कृषि कानूनों का विरोध करने के पीछे अपना एजेंडा लागू करने वाले लोग हैं।