भोपाल। विंध्य के संभागीय मुख्यालय रीवा शहर और जिले की अन्य सीटों पर इस बार जातीय समीकरण कुछ ज्यादा ही मुखर हो गए हैं। ब्राह्मण बहुल रीवा जिले के आठों विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दे, समस्याओं के बजाय एट्रोसिटी एक्ट को लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
पिछले चुनाव (2008 एवं 2013) की तुलना में कांग्रेस मुकाबले में है, लेकिन अंतर्विरोध की शिकार भी है। बनते-बिगड़ते समीकरण के बीच सरकार विरोधी लहर भी मौजूद है।
जिले की 8 विधानसभा सीटों में से भाजपा 5, कांग्रेस 2 और एक सीट पर बसपा काबिज है। पिछले चुनाव में रीवा, सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर और देवतालाब में कमल खिला था, जबकि गुढ़ और मऊगंज में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। अजा के लिए आरक्षित मनगवां में बसपा जीती थी। प्रत्याशियों के एलान के बाद ही सियासी तस्वीर स्पष्ट होगी, लेकिन राजनीतिक और क्षेत्रीय समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
एट्रोसिटी का जिन्न
इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को एट्रोसिटी एक्ट आशंकित किए है। इसकी मुख्य वजह यह है कि लगभग सभी सीटों पर सामान्य वर्ग के मतदाता निर्णायक संख्या में मौजूद हैं। अजा और अजजा वर्ग पर भी उनका खासा प्रभाव है, इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि नतीजे चौंकाने वाले रहें। पड़ोसी राज्य उप्र का सीमावर्ती जिला होने से सियासत भी प्रभावित है। अगड़ी जातियों का असंतोष दोनों ही दलों के लिए बाधाएं खड़ी कर रहा है। भाजपा आशंकित दिख रही है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि वह अपनी सीटों में इजाफा करेगी।
भीतर-बाहर से चुनौती
समाजवादी और कांग्रेसियों के पुराने गढ़ रीवा में इस बार भाजपा, बसपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं। 2003 के बाद यहां के सियासी समीकरण बदले और भाजपा को लगातार बढ़त मिली, लेकिन इस बार उसे कांग्रेस के अलावा भीतर-बाहर से चुनौती मिल रही है। अभय मिश्रा और राजपरिवार के सदस्य पुष्पराज सिंह कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ता उपेक्षा महसूस कर रहा है जबकि जनअपेक्षाएं ज्यादा हैं।
सांसद के नाम की चर्चा
सेमरिया में इस बार समीकरण बदल चुके हैं, अभय मिश्रा के कांग्रेस में जाने से उनकी पत्नी भाजपा विधायक नीलम मिश्रा का टिकट कटना तय है। पार्टी यहां सांसद जनार्दन मिश्रा के नाम पर दांव लगाने का विचार कर रही है, मिश्रा का घर इसी क्षेत्र के हिनौता गांव में है। 2008 और 2013 में उन्होंने टिकट का दावा भी किया था।
त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
मनगवां में बसपा विधायक शीला त्यागी के सामने भी इस बार चुनौतियां कम नहीं हैं, एंटी इनकमबेंसी का असर भी है। यहां भाजपा से संभावितों में पूर्व विधायक पंचूलाल एवं पन्नाबाई का नाम है। कांग्रेस की ओर से डॉ. अच्छे लाल और प्रीति वर्मा दावेदारी जता रहे हैं। त्रिकोणीय संघर्ष के प्रबल आसार बन रहे हैं।
विधायक की अस्वस्थता
त्योंथर में भाजपा विधायक रमाकांत तिवारी की अस्वस्थता आड़े आ रही है। संभवत: पार्टी यहां टिकट बदले। तिवारी अपने बेटे-बहू के लिए भी दावा कर रहे हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य मतदाता यहां निर्णायक है इसलिए एट्रोसिटी का मुद्दा असरकारक है।
उधर मऊगंज सीट कांग्रेस के कब्जे में है, लेकिन भाजपा और बसपा के साथ यहां पूर्व विधायक और सवर्ण समाज पार्टी के लक्ष्मण तिवारी की सक्रियता मुकाबले को चतुष्कोणीय बना सकती है। सपाक्स पार्टी तिवारी का विरोध भी कर रही है। देवतालाब में लड़ाई भाजपा, कांग्रेस, बसपा के साथ सपाक्स के बीच रहेगी। कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हंै यदि वह ओबीसी उम्मीदवार उतारती है तो बाजी पलट सकती है। गुढ़ सीट पर कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी के सामने भी कठिनाई हंै। पिछली बार वह कम अंतर से चुनाव जीते थे।
ये हैं जातिगत समीकरण
रीवा- 59 प्रतिशत सामान्य मतदाता, जिसमें 38 प्रश ब्राह्मण, 10 प्रश राजपूत और 11 प्रश अन्य, 18 प्रश ओबीसी, 11 प्रश अजा एवं 6 प्रश अजजा।
सेमरिया- सामान्य 46 प्रश, इनमें ब्राह्मण 36 फीसदी, अजा 17, ओबीसी 22 एवं अजजा 13 प्रतिशत कोल आदिवासी ज्यादा।
सिरमोर- सामान्य 47 प्रश (ब्राह्मण 36 प्रश), ओबीसी 17, अजा 17 एवं अजजा 17 प्रतिशत।
त्योंथर- सामान्य 43 प्रश (ब्राह्मण 31, राजपूत 8प्रश), ओबीसी 21, अजा 18 एवं अजजा 14 फीसदी।
मऊगंज- सामान्य 45 प्रश (ब्राह्मण 32, राजपूत 10प्रश), ओबीसी 18, अजजा 19 (कोल 10 व गोंड 9 प्रश) एवं अजा 14 फीसदी।
देवतालाब- सामान्य 34 प्रतिशत (ब्राह्मण 22, राजपूत 9 प्रश), ओबीसी 34 (कुरमी 23 प्रश), अजा 18 एवं अजजा 10 फीसदी।
मनगवां- सामान्य 45 प्रश (ब्राह्मण 30, राजपूत 10प्रश), ओबीसी 26 (कुरमी 15 प्रश), अजा 18 एवं अजजा 9 प्रतिशत।
गुढ़- सामान्य 50 प्रतिशत (ब्राह्मण 34, राजपूत 12), ओबीसी 20, अजा 15 एवं अजजा 11 प्रतिशत मतदाता।