राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा सदस्य चुने जाने से खाली हुई राज्य सभा की एक सीट के लिए तीन सितंबर को निर्वाचन होगा। राज्य सभा की इस सीट के बचे दो साल के कार्यकाल के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा के कई दावेदार सक्रिय हो गए हैं।
सिंधिया के लिए सीट छोड़ने वाले केपी यादव के साथ पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, महाराष्ट्र के सह प्रभारी जयभान सिंह पवैया की भी दावेदारी बताई जा रही है। विधानसभा और लोकसभा के साथ राज्य सभा में एससी, एसटी और ओबीसी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होने के कारण माना जा रहा है कि इस सीट पर किसी क्षत्रिय या ब्राह्मण चेहरे को भाजपा भेज सकती है।
राज्य सभा की एक सीट के लिए भाजपा के कई दावेदार हैं। साथ में कांग्रेस से आए सुरेश पचौरी और आदिवासी नेता पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी भी दावेदारी में हैं। ये दोनों ही नेता लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। पार्टी का एक धड़ा दावा कर रहा है कि पचौरी को पार्टी ने राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया था। एक संभावना यह भी है कि भाजपा दिल्ली से किसी नेता को मप्र से राज्यसभा में भेज दे।
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया अब लोकसभा सदस्य हैं। राज्य सभा में सिंधिया लगभग चार साल राज्य सभा सदस्य रहे हैं। वे ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद दोनों सदनों के सदस्य रहे हैं। पहली बार भाजपा ने सिंधिया को तब राज्य सभा में भेजा था, जब वे कांग्रेस के 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे और कमल नाथ सरकार साल 2020 में गिर गई थी। इसके बाद हाल ही में पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भी उतारा।
भाजपा ने फरवरी में हुए राज्यसभा की चार सीटों पर इस बार डॉ. एल मुरुगन, उमेश नाथ महाराज, माया नारोलिया और बंसीलाल गुर्जर को राज्यसभा में भेजा है। दो अप्रैल को अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी और कांग्रेस से राजमणि पटेल का कार्यकाल खत्म हुआ है।
धर्मेंद्र प्रधान का नाम भी इसमें शामिल था, लेकिन वे लोकसभा के लिए उड़ीसा से चुन लिए गए। इसके साथ ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी का कार्यकाल नौ अप्रैल 2026 तक है, जबकि कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, भाजपा नेता कविता पाटीदार और सुमित्रा वाल्मीकि का राज्यसभा में कार्यकाल 29 जून 2028 तक है।