भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार ऑक्सीजन की आपूर्ति पर बैठकें कर रहा है, लेकिन भोपाल जिले में जिन अफसरों को ऑक्सीजन उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसी महत्वूपर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे ही नौसिखिये हैं और गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए है। हाल ही में डिप्टी कलेक्टर बनी अंकिता त्रिपाठी के पास ऑक्सीजन प्लांट में तैनात कर्मचारियों से डाटा एकत्र करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि कितनी आपूर्ति प्रतिदिन शहर में ऑक्सीजन की होनी है और कितनी ऑक्सीजन की जरूरत अस्पतालों में पड़ रही है। हैरत तो यह है कि अब तक जिला प्रशासन के पास यह जानकारी ही नहीं बन पाई है और जिला कलेक्टर अफसरों द्वारा दी गई झूठी जानकारी के आधार पर कह रहे है कि भोपाल में ऑक्सीजन का किसी तरह का संकट नहीं है। जितनी हमारी मांग है, उसके अनुरूप ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है।
'नवदुनिया' ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि शहर के अधिकांश अस्पतालों में ऑक्सीजन के सिलेंडर खत्म हो चुके हैं या खत्म होने के कगार पर हैं। अस्पताल संचालक दूसरे शहरों से भी ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाने की फिराक में है और कुछ बड़े अस्पताल संचालक दूसरे राज्यों से भी ऑक्सीजन मंगाने की बात कह रहे हैं। अशोका गार्डन स्थित एक अस्पताल में तो ऑक्सीजन की कमी के कारण एक मरीज की मौत भी हो गई। इतना ही नहीं, इंद्रपुरी में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने के मामले में एक अस्पताल में जमकर हंगामा हो चुका है।
पालीवाल अस्पताल को मिला अल्टीमेटम, नहीं है ऑक्सीजन
इधर, पॉलीवाल अस्पताल के संचालक जेपी पॉलीवाल का कहना है कि उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले वेंडर ने अल्टीमेटम दे दिया है कि वे कहीं और से व्यवस्था कर लें। क्योकि दो दिन बाद उनका वेंडर ऑक्सीजन सप्लाई नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि अब यह भय का माहौल बन गया है कि अति गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाए या नहीं। अगर भर्ती कर लेते है तो ऑक्सीजन कहां से मिलेगी और नहीं करते है तो यह मरीज के साथ नइंसाफी होगी। इतना सबकुछ होने के बाद जिला प्रशासन के अफसर कह रहे हैं ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त हो रही है। बता दें कि ऑक्सीजन की आपूर्ति सितंबर माह में भी कम हुई थी। उस समय तत्कालीन अपर कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने मिनट-टू-मिनट जानकारी उपलब्ध कराई थी।
लिक्विड ऑक्सीजन के बढ़ गए दाम और जिम्मेदारों को खबर ही नहीं
शहर में लिक्विड ऑक्सीजन के सरकारी दाम 16 रुपये प्रति क्यूबिक लीटर है। इसके बावजूद बाजार में लिक्विड ऑक्सीजन के दाम 35 रुपये प्रति क्यूबिक लीटर चल रहे है। हैरत तो यह है कि जो ऑक्सीजन सिलेंडर पहले 150 रुपये में उपलब्ध होता था, वह अब 210 रुपये में बिक रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन कागजों में सब कुछ चंगा होने की रिपोर्ट दे रहा है। 'नवदुनिया' ने पड़ताल में पाया कि सितंबर अक्टूबर 2020 में जब ऑक्सीजन की मांग बढ़ी थी तब अकेले हमीदिया अस्पताल में डेढ़ लाख क्यूबिक लीटर ऑक्सीजन एक महीने में खर्च हो रही थी। नवंबर में यह मांग 90 हजार पर आ गई थी। यह धीरे-धीरे कम हो रही थी, लेकिन मार्च 2021 से एक बार फिर ऑक्सीजन की मांग बढ़ी, लेकिन प्रशासन ने तब कोई ध्यान नहीं दिया। लिहाजा अब 5 हजार क्यूबिक लीटर प्रतिदिन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। यानी सितंबर 2020 वाली स्थिति वापस आ गई है।
ये हैं जिला प्रशासन की कमजोर कड़ी, जिन पर है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
अपर कलेक्टर माया अवस्थी
जिम्मेदारी- ऑक्सीजन आपूर्ति पर हर दिन मॉनीटरिंग करना और प्लांट सहित अस्पतालों से तालमेल बैठकर सप्लाई प्रभावित न होने देना।
लापरवाही- मैडम किसी भी व्यक्ति का फोन नहीं उठा रही हैं। ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में बताने के लिए कई बार अस्पताल प्रबंधनों ने इन्हें फोन किया, लेकिन दिनभर में कोई जवाब इनके द्वारा नहीं दिया गया।
डिप्टी कलेक्टर अंकिता त्रिपाठी
जिम्मेदारी- सभी अस्पतालों और प्लांट में तैनात कर्मचारियों से हर दिन डाटा लेकर रिपोर्ट बनाना।
लापरवाही- अब तक न तो डाटा कलेक्शन हो पाया और ना ही सटीक जानकारी बन पाई। हैरत तो यह है कि लगातार स्टॉफ मेंबर और अन्य लोगों के साथ बदतमीजी से पेश आ रही हैं। जब इनसे बात करने की कोशिश की गई तो इन्होंने बिना कुछ पूछे ही अपना पद का रसूख दिखाते हुए कहा कोई भी हो, यहां से चले जाओ।
हमने सभी प्लांट में अपने कर्मचारी तैनात कर दिए हैं, जो हमें जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी अपर कलेक्टर माया अवस्थी की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर सौंपी गई है, ताकि आपूर्ति प्रभावित न हो।
- अविनाश लवानिया, कलेक्टर भोपाल
भोपाल शहर में सिर्फ हमारा प्लांट ही ऑक्सीजन बनाता है। हमारे यहां 24 घंटे में 850 सिलेंडर भरे जाते है। अस्पतालों में मांग तो चार गुना से ज्यादा बढ़ गई है और मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हमारा प्लांट कभी बंद नहीं रहा, बल्कि हर दिन संचालित हो रहा है।
- अजय गुप्ता, संचालक, भारती एयर प्रोडक्ट कंपनी