जनजातीय संग्रहालय में व्याख्यान और सिंधी संस्कृति नृत्य
भोपाल(नवदुनिया रिपोर्टर)। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित गमक श्रृंखला के अंतर्गत बुधवार की शाम सिंधी साहित्य अकादमी की ओर से सतीश तेजवानी और साथियों ने सिंधी संस्कृति नृत्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अशोक मनवानी का कला एवं संस्कृति पर एकाग्र व्याख्यान भी हुआ।
प्रस्तुति सतीश तेजवानी और साथियों ने अज खुशियु न जो डीह आयो आ... गीत से प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद मुहिंजी धरती मुहिंजो चमन एं टोपी अजरक वारा जियन..., मूहिंजो झूलन तो चमके..., ऐ हथ मथे करे... और झूले लाल... आदि गीतों पर नृत्य प्रस्तुति दी गई।
इससे पहले अशोक मनवानी ने व्याख्यान में कहा कि देश के विभाजन के कारण कुछ लोक कलाएं अब प्रचलन में भले न हों लेकिन इसमें समय की सुरभि महसूस की जा सकती है। लोक नृत्य छेज के रूप में एक महत्वपूर्ण धरोहर समुदाय के अस्तित्व के साथ अपनी विकास यात्रा कर रही है। यह ऐसी प्रदर्शनकारी कला है जो भगत के साथ काफी लोकप्रिय हुई। भगत जहां छत्तीसगढ़ की पंडवानी और कर्नाटक के यक्ष गान की तरह लोक गाथा गायन है, वहीं यह गुजरात के गरबा नृत्य से मेल खाती हुई कला है। फर्क इतना है कि छेज में गति अधिक होती है। समुदाय को देश की स्वतंत्रता के पश्चात निर्मित विपरीत पस्थितियों के कारण मातृभूमि का त्याग करना पड़ा। आर्थिक रूप से शून्य हो जाने के बाद अपनी विनम्रता, कार्यकुशलता और परिश्रम से पुनः स्थापित होने वाले इस समुदाय का राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री मनवानी ने समाज के और कई पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। श्री मनवानी रंगकर्म से जुड़े हैं। उन्होंने 30 नाटकों में अभिनय और सात नाटकों का लेखन किया है।
गमक में आज
गुरुवार को शाम 6ः30 बजे से गमक के अंतर्गत साहित्य अकादमी द्वारा गिरेंद्र सिंह भदोरिया का हिंदी कविता का सौंदर्य भाव एकाग्र व्याख्यान एवं आदित्य सिंह गौर, भोपाल द्वारा गायन की प्रस्तुति होगी।