Sarva Pitru Amavasya 2022: सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या आज, भूले-बिसरे पूर्वजों का होगा श्राद्ध, जानें तर्पण विधि
सर्व पितृ अमावस्या के दिन ऐसे लोग भी अपने उन पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान व श्राद्ध आदि करते हैं, जिनकी तिथि उन्हें ज्ञात नहीं। कई वे लोग भी रहेंगे, जो समयाभाव के कारण पूरे पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाए। वे अमावस्या पर पितरों का तर्पण करते हैं।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 25 Sep 2022 06:05:00 AM (IST)
Updated Date: Sun, 25 Sep 2022 09:42:31 AM (IST)
भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। आज सर्व पितृ अमावस्या है, यानी पितृ पक्ष का अंतिम दिन। यह दिन पितरों की विदाई का भी होता है। इस अमावस्या का खासकर उन लोगों को विशेष इंतजार रहता है, जिन्हें अपने किसी पितृ या पूर्वज की तिथि ज्ञात नहीं है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक ऐसे देवलोक गमन करने वाले पितरों के निमित्त इसी दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर सकते हैं। संयोगवश इस बार पितृ-मोक्ष अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि, रवि, बुद्धादित्य और कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग का संयोग रहेगा।
पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि सर्वाधिक कर्मकांड 25 सितंबर रविवार को पितृ मोक्ष अमावस्या पर होंगे। इस दिन ऐसे लोग भी अपने उन पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान व श्राद्ध आदि करते हैं, जिनकी तिथि उन्हें ज्ञात नहीं है। कई वे लोग भी रहेंगे, जो समयाभाव के कारण पूरे पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाते हैं। वे अमावस्या पर पितरों का तर्पण करते हैं।
चतुर्ग्रही योग : नवरात्र के लिए पूजन सामग्री की खरीददारी करना शुभ
अमावस्या पर कन्या राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। इस राशि में बुध पहले से है। शुक्र और चंद्रमा का भी अमावस्या पर ही इस राशि में प्रवेश होगा। इस तरह कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा। रविवार को सूर्योदय से रात 12:35 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस योग में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं। इसी तरह इस दिन रवि योग रहेगा। यह योग सूर्योदय से दोपहर 1:30 तक रहेगा। कन्या राशि में सूर्य और बुध की युति से बुद्धादित्य योग बनेगा। इस योग में किए गए तर्पण कार्य से पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।
श्राद्ध व तर्पण विधि
पितरों के मोक्ष की कामना से जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इसी तरह पूर्वजों के निमित्त तर्पण का सही तरीका या विधि भी पता होना चाहिए और उसी के मुताबिक तर्पण कर्म करना चाहिए। पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। अमावस्या पर सभी भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों को याद कर उनका तर्पण करें। सबसे पहले देवताओं के लिए तर्पण करते हैं। इसके बाद ऋषियों के लिए तर्पण किया जाता है और अंत में पितरों की खातिर तर्पण करने की परंपरा है। सबसे पहले पूर्व दिशा में मुख करें और हाथ में कुश व अक्षत लेकर जल से देवताओं के लिए तर्पण करें। इसके उपरांत जौ और कुश लेकर उत्तर दिशा में मुख करते हुए ऋषियों के लिए तर्पण करें। आखिर में आप दक्षिण दिशा में मुख कर लें और काले तिल व कुश से पितरों का तर्पण करें। तर्पण करने के बाद पितरों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद दें।
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