भोपाल। प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कमलनाथ सरकार ने जो नई प्रोत्साहन योजना बनाई है, उसके एक प्रावधान के कारण यह विवादों में घिर गई है। योजना में स्थानीय स्तर पर 70 फीसदी लोगों को रोजगार देने में आरक्षण नियमों का पालन करने की शर्त जोड़ी गई है। उद्योग जगत इसके पक्ष में नहीं है। दरअसल, उद्योगों को प्रशिक्षित मानव संसाधन की दरकार होती है और जरूरी नहीं है कि आरक्षित वर्ग में वह व्यक्ति मिल ही जाए। ऐसे में जिस तरह सरकारी नौकरियों में बैकलॉग बरसों से चला आ रहा है, वही स्थिति उद्योगों में भी निर्मित हो सकती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ सकता है।
वृहद उद्योगों के लिए लागू उद्योग संवर्धन नीति में भी इस तरह का प्रावधान नहीं है। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के मुहैया कराने के लिए 70 फीसदी काम स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करवाने की शर्त रखी थी। उद्योग जगत ने इसका स्वागत किया और सभी इसका पालन करने के लिए भी तैयार हैं। वहीं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने जो प्रोत्साहन योजना 2019 बनाई, उसे एक प्रावधान को छोड़कर सराहा भी गया है, क्योंकि यह दस राज्यों का अध्ययन करने के बाद बनाई गई है।
इसमें अजा-अजा वर्ग और महिलाओं को प्रोत्साहित करने के प्रावधान किए गए हैं। सिर्फ योजना में स्थानीय व्यक्तियों को 70 प्रतिशत रोजगार के प्रावधान को आरक्षण से जोड़ने पर असहमति के सुर हैं। इस प्रावधान को हटाने को लेकर जल्द ही निर्णय हो सकता है।
संयुक्त मोर्चा ने किया स्वागत, सपाक्स करेगा विरोध
इधर, इस मामले में मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने आरक्षण का प्रावधान करने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया है। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि यह फैसला सराहनीय है। उधर, सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि पार्टी बैठक में स्थानीय स्तर पर 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने की शर्त का स्वागत किया गया और रोजगार में आरक्षण के प्रावधान का विरोध करने का निर्णय लिया गया।
पार्टी का मानना है कि एक तरफ हम उद्योगों का बाहें फैलाकर स्वागत कर रहे हैं, वहीं ऐसी शर्त लगा रहे हैं जो अव्यावहारिक हैं। इस फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे। उधर, कंफेडरेशन ऑफ एमपी फॉर इंडस्ट्रीज सर्विस एंड ट्रेड (काम्पिस्ट) के अध्यक्ष गोविंद गोयल का कहना है कि हमें योग्य लोग मिलें तो इन वर्गों के लोगों को रखेंगे। इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है पर इससे उद्योगों को कोई असुविधा हुई तो संस्था आवाज उठाएगी।
पॉलिसी अच्छी, शर्त गलत: शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि एमएसएमई विकास नीति के तहत लाई गई प्रोत्साहन योजना अच्छी है। इसमें प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने के जो प्रावधान किए हैं वे तरीफ के काबिल हैं पर आरक्षण की शर्त लगाना गलत है। एक तरफ हम प्रदेश में उद्योग लगें, निवेश आए, उसके लिए प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के प्रावधान से उद्यमी हतोत्साहित होगा। सरकार में तो आरक्षित पद पर योग्य व्यक्ति नहीं मिलने से उसे रोककर रख लिया जाता है पर उद्योगों में यह संभव नहीं है। इससे उत्पादकता प्रभावित होगी
देखकर बताऊंगा : अकील उधर, सक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री आरिफ अकील ने कहा कि मैं बाहर हूं और पॉलिसी देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।