भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रामदेव भारद्वाज ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राज्यपाल मंगुभाई पटेल से विश्वविद्यालय की अकादमिक रचनात्मकता पहल पर चर्चा की और उन्हें बताया कि किस प्रकार विश्वविद्यालय आत्म निर्भर विश्वविद्यालय के रूप में उभर रहा है। प्रो भारद्वाज ने बताया कि ग्रामीण अंचलों में हिंदी भाषा के माध्यम से स्व-रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का विस्तार किया गया है। प्रधामनंत्री की कौशल विकास योजना, स्टार्टअप्स, स्वयं के पाठ्यक्रमों में छात्रों की अभिरुचि में व्रद्धि हुई है जिसके परिमाण स्वरूप सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षत्रों में लगभग 150 अध्ययन केन्द्रों पर 37 पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है। ये पाठ्यक्रम योग, प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म, प्राकृतिक फार्मा, हॉस्पिटल, होटल एवं पर्यटन प्रबंधन, सामुदायिक स्वास्थ्य आदि से संबंधित है। कुलपति भारद्वाज ने अवगत कराया कि अब विश्वविद्यालय का अपना स्वयं का अकादमिक एवं प्रशासनिक भवन ,टंट्या भील छात्रावास भी निर्मित हो गया है। प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की भव्य प्रतिमा स्थापित है। प्रांगण में भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी एवं युगांतकारी युवाओं के प्रणेता स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लोकार्पित हो गई है। परिसर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित है जो विश्वविद्यालय के साथ-साथ ग्राम मुगलिया कोट सूखी सेवनिया के रहवासियों के लिए निःशुल्क प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। छात्रों की सुविधाओं के लिए एक बस की भी व्यवस्था के दी गई है। यह जानकर राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि वे शीघ ही विश्वविद्यालय परिसर में आएंगे। इस अवसर पर कुलपति प्रो.भारद्वाज ने स्वयं द्वारा लिखित 12 पुस्तकों एवं विभिन्न प्रकल्पों के प्रयोवेदन सादर अवलोकनार्थ भेंट किए। इनमें प्रमुख्यतः क्राइसिस ऑफ मॉरलिटी इन लीडरशिप, इंटरनेशनल पालटिक्स: कंटेम्प्ररेरी ट्रेन्डस एंड इश्यूज़, भारत और आधुनिक विश्व, भारत और अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति: सिद्धांत और समसामयिक समस्याएं, राजनय एवं मानवाधिकार, विवेकानंद, सुकार्नो एवं इण्डोनेशियाई राष्ट्र निर्माण, कन्फलिक्ट, टेरर एंड वॉइलेंस इन इण्डियन सोसाइटी एण्ड पॉलिटी, भारत की विदेश नीति, कोरोना केंद्रित विश्व और भारत, आधुनिक चीनः संस्कृति, साहित्य, राजनीति और राजनय , अटल प्रवाह, अन्तः संवाद प्रमुख पुस्तकें हैं।