
भोपाल (मनोज तिवारी)। महिला एवं बाल विकास विभाग में 100 सहायक संचालकों को रिवर्ट करने की तैयारी चल रही है। एकीकृत बाल विकास परियोजना संचालनालय ने शासन को इसका प्रस्ताव भेज दिया है। वर्ष 2012 में केंद्र सरकार ने ये पद दिए थे, जो हाल ही में समाप्त कर दिए गए हैं। ऐसे में इन अफसरों को राज्य बजट से वेतन देना पड़ेगा। इसलिए रिवर्ट करने पर विचार चल रहा है।
एकीकृत बाल विकास परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 1992 के बाद 2012 में सहायक संचालकों के सौ पद दिए थे। जिन पर वर्ष 2013 में सौ परियोजना अधिकारियों को पदोन्न्त कर सहायक संचालक बना दिया गया। अब इन्हीं अफसरों को रिवर्ट किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि संचालनालय की स्थापना शाखा के संयुक्त संचालक ने इन अफसरों को खाली 87 पदों पर मर्ज करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन प्रस्ताव पर संयुक्त संचालक वित्त ने रिवर्ट करने को लिख दिया। इससे विभाग के आला अफसर भी सहमत हो गए और प्रस्ताव शासन को चला गया।
50 फीसदी वेतन देती है केंद्र सरकार
केंद्र सरकार जिन पदों को स्वीकृत करती है, उनके वेतन की 50 फीसदी राशि केंद्र से आती है, जबकि शेष 50 फीसदी राज्य सरकार को देनी पड़ती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह 50 पद बचाए जा सकते थे, लेकिन अफसरों ने ऐसा नहीं किया।
परियोजना अधिकारी और सुपर वाइजर भी रिवर्ट होंगे
यदि ये प्रस्ताव स्वीकृत हुआ, तो सहायक संचालकों के साथ सौ परियोजना अधिकारी और फिर सौ सुपरवाइजर भी रिवर्ट करने पड़ेंगे। दरअसल, परियोजना अधिकारी पदोन्न्त हुए तो सुपरवाइजरों को पदोन्न्ति का मौका मिला।
इस प्रस्ताव से सबसे ज्यादा नुकसान सुपरवाइजरों को ही होना है, क्योंकि वर्ष 1987 में नियुक्ति के बाद उन्हें पहली पदोन्न्ति मिली थी और अब इनमें से कई अपनी नौकरी पूरी कर रहे हैं। यदि रिवर्ट होते हैं तो उन्हें पूरी नौकरी में एक भी पदोन्न्ति नहीं मिलना माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि विभाग में 231 सहायक संचालक, 453 परियोजना अधिकारी और तीन हजार सुपरवाइजर के पद हैं। इनमें से सहायक संचालक के 87 पद वर्तमान में खाली हैं।
अभी प्रस्ताव नहीं आया
अभी मेरे पास प्रस्ताव नहीं आया है। प्रस्ताव आएगा, तब बताया जा सकेगा कि क्या कर रहे हैं। वैसे खाली पदों को भी भरना है। पहले वही सोचेंगे - जेएन कंसोटिया, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग