भोपाल विलीनीकरण दिवस आज : मुस्लिम रियासतों को साथ लेकर एक अलग मुल्क बनाना चाहते थे नवाब हमीदुल्ला
हमीदुल्ला ने मोहम्मद अली जिन्ना से कहा था - पाकिस्तान में मेरी जरूरत नहीं तो कहीं और चला जाऊं।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Tue, 01 Jun 2021 09:02:51 AM (IST)
Updated Date: Tue, 01 Jun 2021 09:02:51 AM (IST)
सुशील पांडेय, भोपाल। 15 अगस्त 1947 को पूरा देश अंग्रेजों से आजाद हो गया था। अनेक रियासतों का भारत में विलय हो गया, लेकिन भोपाल रियासत के नवाब, भारत में विलय को तैयार नहीं थे। वे पाकिस्तान में भोपाल का विलीनीकरण चाहते थे। ऐसा नहीं होने पर उनका इरादा मुस्लिम रियासतों को मिलाकर एक अलग देश प्रिंसिस्तान बनाने का था। भोपाल का पाकिस्तान में विलय भौगोलिक रूप से संभव नहीं था और प्रिंसिस्तान के लिए उन्हें अन्य रियासतों का सहयोग नहीं मिला। जवाहरलाल नेहरू भी इसके खिलाफ थे, जबकि पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना ने भोपाल नवाब हमीदुल्ला को प्रलोभन दिया था कि यदि वे भोपाल समेत अन्य मुस्लिम रियासतों को पाकिस्तान में मिलाते हैं तो उन्हें पाकिस्तान का गवर्नर जनरल बना दिया जाएगा, लेकिन प्रिंसली स्टेट (देसी रियासत) हमीदुल्ला के साथ आने को तैयार नहीं हुए।
जिन्ना और नबाव भोपाल के बीच संवाद का गोपनीय पत्र भोपाल स्वतंत्र्य आंदोलन स्मारक समिति के सचिव डॉ. आलोक गुप्ता के पास हैं, जिन्हें वे आज विलीनीकरण दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रदर्शित करेंगे। इसमें डॉ. शंकरदयाल शर्मा का नई राह के विशेषांक में एक जून 1949 को प्रकाशित लेख, भोपाल रियासत को लेकर लिखे गए नेहरू के पर्सनल नोट्स और पुस्तक प्रिंसिस्तान भी शामिल है।
माय डियर, कायदे आजम...: डॉ. गुप्ता ने बताया कि 14 अगस्त 1947 भोपाल रियासत के भारत में विलय की अंतिम तिथि थी। इसके पूर्व हमीदुल्ला ने दो अगस्त को जिन्ना को पत्र लिखा था। उन्होंने जिन्ना को माय डियर, कायदे आजम का संबोधन करते हुए कहा था कि आठ-दस साल से मैं पाकिस्तान का प्रबल समर्थक और मुस्लिम लीग का समर्पित अनुयायी हूं। मेरी प्रबल इच्छा पाकिस्तान में मिलने की है। भोपाल में 80 प्रतिशत हिंदू हैं और हम चारों ओर से हिंदू स्टेट से घिरे हुए हैं। मैं चाहता हूं कि नवाब की गद्दी छोड़ दूं और आपकी, इस्लाम और पाकिस्तान की सेवा करूं। इसीलिए संविधान सभा में भी मैंने अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा है। आपकी इजाजत से ही मैंने चेंबर ऑफ प्रिसेंस स्टेट (नरेश मंडल) की चांसलरशिप छोड़ी है। मैंने भोपाल सहित सभी मुस्लिम रियासतों को स्वतंत्र रखें जाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इस काम में हिंदू रियासतों का सपोर्ट नहीं मिला और इसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी।
इतिहासकार डॉ. गुप्ता ने बताया कि पत्र में लिखा है कि हमीदुल्ला लिखते हैं कि मैं आपसे मिलना चाहता हूं। उन्होंने जिन्ना से यह भी पूछा था कि यदि पाकिस्तान में मेरी कोई उपयोगिता नहीं है तो वह भी बताएं। मेरा भविष्य अगले दिनों में तय होना है, इसलिए आपकी तरफ से पक्का आश्वासन चाहिए। आपके प्रति मेरा गहरा सम्मान है। मैं आपका कभी साथ नहीं छोड़ूंगा। यदि पाक में मेरी जरूरत नहीं है तो मैं और कहीं चला जाऊंगा, पर इंडिया में नहीं रहूंगा।