राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल: अंडमान निकोबार आइलैंड की वन भूमि डिनोटिफाई करने के बदले मध्य प्रदेश के तीन जिलों में पौधरोपण किया जाएगा। प्रदेश के देवास, कटनी एवं रायसेन जिले की 1405 हेक्टेयर वन भूमि पर वैकल्पिक पौधारोपण होगा। अंडमान निकोबार आईलैंड में पूरी भूमि ही वन क्षेत्र है, जिससे वहां नियमानुसार कैम्पा फंड से वैकल्पिक पौधरोपण के लिए कोई अन्य भूमि ही उपलब्ध नहीं है।
आईलैंड के विकास की परिषद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गठित है और वहां सामरिक रणनीति के हिसाब से निर्माण कार्य होने हैं। इसी कारण से मप्र के इन तीन जिलों के बिगड़े वन क्षेत्रों में वैकल्पिक पौधरोपण होगा। इसके लिए 20 करोड़ रुपये आईलैंड प्रशासन द्वारा मप्र के वन विभाग को कैम्पा फंड से दिए जाएंगे।
बता दें कि अंडमान निकोबार के मुख्य सचिव ने पिछले महीनों मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि एसएफआर (भारतीय वन सर्वेक्षण) के अनुसार मध्य प्रदेश में 36,465 वर्ग किलोमीटर खुला बिगड़ा वन क्षेत्र है और वे इसमें से खुले बिगड़े वनक्षेत्र में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आने वाली परियोजनाओं के बदले पौधरोपण का कार्य करवाना चाहते हैं।
इसके लिए मध्य प्रदेश को वैकल्पिक पौधरोपण में व्यय होने वाली आवश्यक धनराशि देने और 10 प्रतिशत एनपीव्ही (नेट प्रेजेंट वैल्यू) की राशि नेशनल अथारिटी आफ कैंपा में जमा करने के लिए सहमत बन गई थी।
अंडमान निकोबार प्रशासन द्वारा 25.अगस्त 2020 को अर्द्धशासकीय पत्र से अवगत कराया गया था कि अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में लगभग 300 वर्ग किलोमीटर खुला वन क्षेत्र है और यह अंडमान तथा निकोबार में आने वाली परियोजनाओं के लिए वैकल्पिक पौधरोपण के लिए पर्याप्त नहीं है।
अंडमान निकोबार के मुख्य सचिव ने भारत सरकार के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार से पौधारोपण कराने की स्वीकृति मांगी थी। मध्य प्रदेश सरकार ने इस कार्य के लिए स्वीकृति दे दी।
कैंपा फंड (प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) की निधि से पौधारोपण कार्य कराया जाएगा। अंडमान निकोबार में विकास कार्य के चलते 500 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में हुई क्षति की भरपाई मध्य प्रदेश में होगी। पौधरोपण के बाद बड़े होने वाले पेड़ों पर पूर्ण रूप से मध्य प्रदेश सरकार का अधिकार होगा।