भोपाल (राज्य ब्यूरो)। भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज (निशाद) को संक्रामक बीमारियों की जांच के लिए देश की दूसरी सबसे बड़ी लैब बनाने की तैयारी है। अभी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) पुणे सबसे बड़ी लैब है। निशाद में 400 करोड़ रुपये की लागत से बायोलाजिकल सेफ्टी लेवल (बीएसएल)- 4 मापदंड वाली नई लैब बनाने की तैयारी है।
भारत सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव मांगा है। बीएसएल-4 स्तर की लैब बनने के बाद यहां पर एंथ्रेक्स, निपाह, इबोला समेत कई ऐसी संक्रामक बीमारियों की जांच हो सकेगी, जो जानवरों से इंसान में आती हैं।
बता दें कि जानवरों में होने वाली संक्रामक बीमारियों की जांच के लिए यह एशिया की सबसे बड़ी लैब है। वर्तमान लैब को उन्नत बनाने की जगह यहां परिसर में ही अलग से ही बीएसएल-4 स्तर की लैब बनाई जाएगी। इसके लिए विज्ञानियों के अलग पद भी स्वीकृत होंगे।
अभी इस स्तर की देश में सिर्फ एक लैब होने की वजह से संक्रामक बीमारियां फैलने पर सैंपलों का दबाव बहुत ज्यादा हो जाता है और जांच में कई दिन लग जाते हैं। लैब बनने पर यहां क्रीमियन कांगो हीमोरेजिक फीवर (सीसीएचएफ), कैसूनूर फारेस्ट डिजीज (केएफडी) के वायरस के संक्रमण की जांच भी हो सकेगी।
क्या है बीएसएल-4 लेवल लैब
यह सुरक्षा की दृष्टि से लैब का सर्वोच्च स्तर माना जाता है। इसमें मानक इस तरह के होते हैं कि जांच के दौरान वायरस फैलने का खतरा न के बराबर रहता है। लैब के भवन की संरचना, उपकरण व विज्ञानियों के संक्रमित होने से बचाव के लिए बीएसल-4 के तय मानक के अनुसार व्यवस्था की जाती है। अभी यह लैब बीएसएल-3 स्तर की है। इस कारण ज्यादा संक्रामक और घातक वायरस की जांच नहीं हो पाती।
संस्थान के अधिकारियों को बीएसएल-4 लैब बनाने के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा है। लैब बनने से कई खतरनाक बीमारियों की जांच यहां हो सकेगी, जो अभी नहीं हो रही है।
- अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त, केंद्रीय कृषि मंत्रालय।