MP Election Results 2023: गुजरात चुनाव से पलटा आदिवासी वर्ग, मप्र-छग और राजस्थान में दिला दी प्रचंड जीत
2018 में आदिवासी वोट में कमी के चलते ही मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी, लेकिन गुजरात चुनाव के करीब एक साल बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में गुजरात की तरह आदिवासी वोट बैंक भाजपा के साथ चला गया।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Tue, 05 Dec 2023 03:35:20 PM (IST)
Updated Date: Tue, 05 Dec 2023 03:35:20 PM (IST)
HighLights
- आमतौर पर गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक का रुझान एक जैसा ही रहता है।
- ध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम में इसकी साफ साफ झलक दिखी।
- दोनों राज्यों में 2018 में भाजपा की हार की बड़ी वजह आदिवासी सीटों पर मिली पराजय भी मानी जाती है।
MP Election Results 2023: धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। वर्ष 2022 में गुजरात विधानसभा के चुनाव में आदिवासी वोट बैंक ने जिस तरह से भाजपा की ओर करवट ली, वही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी हुआ और भाजपा को प्रचंड जीत मिली। गुजरात में एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित 90 प्रतिशत सीटें भाजपा की झोली में आ गई थीं।
आदिवासी वोट बैंक का रुझान एक जैसा
आमतौर पर गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक का रुझान एक जैसा ही रहता है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम में इसकी साफ साफ झलक दिखी। दोनों राज्यों में 2018 में भाजपा की हार की बड़ी वजह आदिवासी सीटों पर मिली पराजय भी मानी जाती है।
ऐसे नेताओं को लगाया चुनाव प्रबंधन में
यही वजह थी कि भाजपा ने गुजरात से लगे सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में गुजरात के आदिवासी नेता और कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रबंधन में लगाया था। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में एसटी वर्ग के लिए 47 सीटें सुरक्षित हैं, जिनमें भाजपा को 24 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव में यह संख्या 16 थी। राजस्थान में भी 25 में भाजपा की सीट नौ से बढ़कर 12 हो गईं।
सत्ता की चाबी आदिवासी मतदाताओं के हाथों में
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड तक सत्ता की चाबी आदिवासी मतदाताओं के हाथों में है। यह अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि पिछले कई चुनावों के परिणामों का विश्लेषण है। खास बात यह है कि आदिवासी समुदाय विभिन्न राज्यों में होकर भी वोटिंग पैटर्न एक जैसा ही रखता है। वर्ष 2022 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एसटी की आरक्षित 27 सीटों में से 23 पर जीत दर्ज करते हुए सत्ता बरकरार रखी।
इसलिये हार गई थी भाजपा
उधर, 2018 में आदिवासी वोट में कमी के चलते ही मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी, लेकिन गुजरात चुनाव के करीब एक साल बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में गुजरात की तरह आदिवासी वोट बैंक भाजपा के साथ चला आया। मप्र में तो भाजपा को आठ सीटों का इजाफा हुआ और 47 में से सीटों की संख्या 16 से बढ़कर 24 हो गई।
छत्तीसगढ़ में दिया साथ
छत्तीसगढ़ में एसटी सीटों की संख्या 29 है, जहां भाजपा के पास मात्र दो सीटें थीं। अब 2023 में भाजपा की एसटी सीटों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि अभी मध्य प्रदेश में एसटी वर्ग पूरी तरह भाजपा के साथ नहीं आया है, लेकिन छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा का साथ दिया। गौरतलब है कि मप्र में 21.10 प्रतिशत, गुजरात में 15 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 30.62 प्रतिशत और राजस्थान में 13.48 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या है। लोकसभा में भी आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं।