ब्रजेंद्र वर्मा। भाजपा प्रदेश संगठन ने भोपाल जिले की उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने प्रदेश का पहला रोड शो यहीं किया। लाड़ली बहना योजना के सहारे मुस्लिम महिला वोटरों को साधने का प्रयास किया। वहीं सबका साथ, सबका विकास, डबल इंजन सरकार के सहारे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म के मतदाताओं से भाजपा का साथ देने का आग्रह किया।
दरअसल कांग्रेस की कब्जे वाली इस सीट को जीतना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती रही है, इसलिए इसी के चलते चुनावी घोषणा से पहले ही भाजपा ने पहली 39 प्रत्याशियों की सूची में उत्तर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व महापौर आलोक शर्मा को मैदान में उतार दिया था, ताकि भाजपा संगठन अपनी केंद्र व राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई जिन हितैषी योजनाओं से मिल रहे लाभ के बारे में जन-जन तक बताने का पर्याप्त समय मिल सके। रणनीति के हिसाब से भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं की टीम चुनावी मैदान में पसीना बहा भी रही है। प्रत्याशी आलोक शर्मा शिवराज सरकार में हुए विकास कार्यों को गिना रहे हैं। इधर कांग्रेस भी अपनी परंपरागत जीताऊ सीट को फिर जीतने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। छह बार के विधायक आरिफ अकील पर ही कांग्रेस ने फिर भरोसा जताया है। अस्वस्थ होने के कारण आरिफ अकील चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी जगह उनका बेटा आतिफ अकील चुनाव मैदान में हैं। बेटे के समर्थन में आरिफ अकील अस्वस्थ होने पर भी चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इधर आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी मोहम्मद सऊद और कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बागी हुए कांग्रेस प्रत्याशी आतिफ अकील के चाचा आमिर अकील निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता नासिर इस्लाम भी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। तीन प्रमुख मुस्लिम चेहरे चुनाव जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक बन गया है। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार मुस्लिम समुदाय के वोट मुस्लिम प्रत्याशियों में बंट जाएंगे। वहीं कांग्रेस को भरोसा है कि हर चुनाव की तरह इस बार भी मुस्लिम समुदाय साथ रहेगा।
दो लाख 45 हजार 652 मतदाता, आसान नहीं कांग्रेस की जीत
मुस्लिम बाहुल्य वाले उत्तर विधानसभा क्षेत्र में दो लाख 45 हजार 652 मतदाता हैं। करीब 58 प्रतिशत मुस्लिम तो 48 प्रतिशत हिन्दू हैं। हर चुनाव में मुस्लिम समुदाय चुनाव से दो दिन पहले निर्णय लेता है कि किस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करना है। इसमें मुस्लिम धर्म गुरुओं की अहम भूमिका मानी जाती है। इतिहास रहा है कि विधानसभा चुनाव में आधा दर्जन तक मुस्लिम समुदाय के नेता निर्दलीय चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा है। वर्ष 2008 से पहले भोपाल जिले में चार विधानसभा सीट हुआ करती थीं। जिसमें दक्षिण, गोविंदपुरा, उत्तर और बैरसिया थी। विधायक आरिफ अकील की पकड़ घर-घर में है, इसलिए छह बार चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष-2008 में आरिफ अकील ने भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा को 4026 मतों से हराया था। वर्ष-2013 में भाजपा ने आरिफ बेग को चुनाव मैदान में उतारा, वो अकील से 6664 मतों से हार गए। वर्ष-2018 में भाजपा ने फातिमा रसूल सिद्दकी को चुनाव लड़ाया। अकील ने फातिमा को 34 हजार 857 मतों से हराया था। पूर्व महापौर आलोक शर्मा ने वर्ष-2008 में आरिफ अकील को अच्छी टक्कर दी थी, इसलिए उन्हें इस बार प्रत्याशी बनाया गया। शर्मा की पकड़ हिन्दू व मुसलिम समुदाय में भी है। वहीं कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं, इसलिए कांगेस की जीत आसान नहीं है।
1993 में भाजपा का परचम स्वर्गीय रमेश शर्मा गुट्टू भैया ने फहराया था
उत्तर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष-1993 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा नेता रमेश शर्मा गुट्टू भैया ने आरिफ अकील को चुनाव हराया था। गुट्टू भैया इसी वर्ष 11 मई को हृदयघात से मृत्यु हो गई। इस क्षेत्र में काजी कैंप, इंदरा नगर, आरिफ नगर, पुतली घर, इस्लामी गेट, बाल विहार, लाल मजिस्द नूल महल के पास, खानूगांव, शहीद नगर, शर्मा कालोनी, टीला जमालपुरा, साजिदा नगर सहित कोहेफिजा का आधा क्षेत्र आता है। रहवासियों को बुनियादीं की दरकार तब भी थी और अब भी है।
वर्षों से इन समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ निराकरण
-टीला जमालपुरा की सड़कें वर्षों से बदहाल हैं, जो नहीं बन सकीं।
-शर्मा कालोनी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकीं।
-शासकीय कोई बड़ी योजना के तहत विकास कार्य नहीं हुआ। सामुदायिक भवन तक नहीं बने।
-ओवर ब्रिज, पार्क तक नहीं बसे, जिससे आम जनता को लाभ होगा।