बृजेन्द्र ऋषीश्वर, भोपाल। आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने मध्य प्रदेश में कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) के सदस्यों की गतिविधियों का राजफाश करने के लिए अपने एक आरक्षक को जासूस बनाया। पहले उसने संदिग्ध सदस्यों पर नजर रखी और फिर उनसे दोस्ती गांठ ली। धीरे-धीरे उसने संगठन में पैठ बनाई। इसी आरक्षक की मदद से एटीएस एचयूटी का राजफाश करने में सफल हो गई। इस आपरेशन में करीब चार माह का समय लगा। अभी तक ऐसे आपरेशन सिर्फ रा या आइबी की टीम ही करती आई है लेकिन पहली बार एटीएस ने इस तरह का सफल आपरेशन किया।
इस बीच, गुरुवार को एनआइए ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली है। बता दें कि एचयूटी के 16 सदस्यों को एटीएस ने भोपाल, छिंदवाड़ा और हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल सभी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। एटीएस की योजना के अनुसार आरक्षक ने संदिग्धों पर नजर रखनी शुरू की। एक संदिग्ध रोज सुबह जिम जाता था।
आरक्षक भी जिम पहुंचा और उससे मेलजोल बढ़ाने लगा। इसके बाद वह दोस्त के रूप में एचयूटी में पैठ बनाता गया। आरक्षक ने खुद को पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हुए एचयूटी के सदस्य को बताया कि वह रोजगार के लिए निजी काम करता है। उसने सदस्यों को अपनी बातों से प्रभावित किया और उनका विश्वासपात्र बन गया।
विश्वासपात्र बनने के बाद आरक्षक कट्टरपंथी बातचीत में भी शामिल होने लगा। उसने खुद को हिंदू बताया लेकिन यह भी कहा कि सनातन धर्म में जाति आदि के कारण एकता नहीं है। इससे वह खिन्न रहता है। आरक्षक ने बताया कि उसे इस्लाम पसंद है, क्योंकि इसमें लोग एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। इसके बाद उसने अपना मत बदलने की बात कही। उसे संगठन की गोपनीय बैठकों में आमंत्रित किया जाने लगा। आरक्षक उनकी दी हुई मुस्लिम कट्टरपंथ से संबंधित किताबें पढ़ने लगा। इस दौरान आरक्षक अधिकारियों को पूरा फीडबैक देता रहा। जब पूरी जानकारी हासिल कर ली गई तो यह तय हो गया कि प्रदेश में एचयूटी के कितने सदस्य हैं और उन्हें किस तरह एक साथ गिरफ्तार किया जा सकता है। एटीएस ने शानदार रणनीति बनाई और सभी आरोपितों को एक साथ- एक ही समय में दबोच लिया।
एटीएस पुलिस सूत्रों का कहना है कि एक बार इस आरक्षक को एचयूटी सदस्यों के साथ घूमते हुए ऐशबाग थाने के पुलिसकर्मी ने देख लिया था। उस पुलिसकर्मी ने एचयूटी के सदस्य से यह तक पूछ लिया कि तेरे पीछे पुलिस क्यों लगी है? हालांकि उसने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद सतर्कता बरतते हुए करीब एक माह तक एचयूटी सदस्यों की गिरफ्तारी टाल दी गई।