MP Assembly: राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में आज विधायकों का शपथ ग्रहण जारी है। इस बीच आसंदी के पास लगी तस्वीरों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला यहां जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर की जगह डा. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगाई गई। पहले आसंदी की दांयी ओर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बांयी ओर पं. नेहरू की तस्वीर लगी हुई थी। वर्ष 1997-98 में जब विधानसभा मिंटो हाल से इस भवन में स्थानांतरित हुई थी तब महात्मा गांधी और पं. नेहरू की तस्वीर आसंदी के पास लगाई गई थी।
पं. नेहरू की हटाई गई तस्वीर को विधानसभा के पुस्तकालय में गांधी- नेहरू कक्ष में लगाया गया है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के कार्यकाल में जुलाई के सत्र में ही पं. नेहरू की तस्वीर हटाई गई थी। तस्वीर बहुत पुरानी हो गई थी और खराब भी हो रही थी इसलिए उसे हटाकर डा. आंबेडकर की तस्वीर लगाई गई है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरा है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि डा. भीमराव आंबेडकर साहब हम सभी के आराध्य है और संविधान पीठ के अध्यक्ष भी रहे हैं। उनके सम्मान में कोई भी कोताही नहीं बरती जा सकती, किंतु जिस प्रायोजित तरीके से पं. नेहरू की तस्वीर हटाई गई है, वह ओछी मानसिकता का परिचायक है। पं. नेहरू देशवासियों के दिल विराजित हैं। भाजपाई विचारधारा उन्हें कितना भी अपमानित करें, उससे भाजपाइयों का ही कद कम होगा, पं. नेहरू का नहीं।
विधानसभा सत्र के पहले दिन दिमनी से भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह तोमर ने मप्र विधानसभा अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल किया। तोमर का निर्विरोध चयन होना तय है।
मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र प्रारंभ हो गया है। चार दिवसीय इस सत्र में पहले दो दिन निर्वाचित सदस्यों को सामयिक अध्यक्ष गोपाल भार्गव द्वारा शपथ दिलाई जा रही है। बुधवार को अध्यक्ष का चुनाव होगा। भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर के नाम इस पद के लिए तय किया है। विधानसभा में दलीय स्थिति को देखते हुए निर्विरोध निर्वाचन होगा। सरकार वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत कर सकती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर श्री @bhargav_gopal ने मध्यप्रदेश विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्य एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।@DrMohanYadav51 pic.twitter.com/FiRwlhwi7A
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 18, 2023
210 विधायकों ने करवाया पंजीयन
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि अभी तक 210 विधायकों द्वारा अपने आवश्यक दस्तावेज जमा करने के साथ पंजीयन कराया जा चुका है। शेष नवनिर्वाचित विधायकों की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विधानसभा सचिवालय में बनाए स्वागत कक्ष में अधिकारी उपस्थित रहेंगे और विधायकों का पंजीयन करेंगे।
मध्यप्रदेश विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोहhttps://t.co/z7rUMHuYib
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 18, 2023
रहेगी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
सत्र के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। एक हजार पुलिस के जवान सुरक्षा में तैनात रहेंगे। विधायक स्वजन के अतिरिक्त केवल एक बाहरी व्यक्ति को प्रवेश दिला पाएंगे।विधानसभा परिसर के प्रवेश द्वार और दीर्घा में प्रवेश से पहले जांच होगी।खाने-पीने की वस्तु, चप्पल-जूते बेल्ट आदि सामग्री दीर्घा के बाहर रखवाई जाएगी।
पहले दो दिन विधायकों की शपथ
सत्र के दौरान पहले दो दिन विधायकों की शपथ होगी और बुधवार को अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। विधानसभा में 163 सदस्य भाजपा के हैं, इसलिए निर्विरोध निर्वाचन होगा। भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिमनी से निर्वाचित नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किया है।
तोमर के रूप में पहली बार विधानसभा का अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल अंचल से बनेगा। अभी तक अधिकतर समय विंध्य और महाकोशल अंचल से अध्यक्ष बनते आए हैं।
कमल नाथ ने अनुपस्थिति की अनुमति मांगी
उधर, छिंदवाड़ा से निर्वाचित कमल नाथ ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र से अनुपस्थिति की अनुमति मांगी है। उन्होंने सामयिक अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि वे इस सत्र में उपस्थित नहीं रह पाएंगे। अब उन्हें बाद में शपथ दिलाई जाएगी।
उपाध्यक्ष को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलेगा या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दरअसल, 15वीं विधानसभा में अध्यक्ष के निर्वाचन के समय कांग्रेस और भाजपा के बीच मतभेद हो गए थे। भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार दिया था। चुनाव में कांग्रेस के एनपी प्रजापति विजयी हुए थे, लेकिन इसके बाद उपाध्यक्ष का पद भी कांग्रेस ने विपक्ष को नहीं दिया। लांजी से विधायक रहीं हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस पर लगा था यह आरोप
मार्च 2020 में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो कांग्रेस ने यह पद परंपरा के अनुसार विपक्ष को देने की बात उठाई पर सरकार ने कांग्रेस पर परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाते हुए पद नहीं दिया और स्वयं भी किसी को उपाध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पाई। अब देखना यह है कि इस बार भी उपाध्यक्ष का पद बहुमत के आधार पर सत्तापक्ष अपने पास रखता है या फिर परंपरा का पालन करते हुए विपक्ष को देता है।