भोपाल। महादेव की इच्छा के बिना कोई परिकल्पना सफल नहीं हो पाती है। हमने सोचा नहीं था कि लोगों को इतना पसंद आएंगा, लेकिन रिस्पास बहुत अच्छा आया। आज के युवाओं को वेस्टर्न कल्चर बहुत ज्यादा पसंद है। वह पारंपरिक वाद्ययंत्र को ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। लेकिन हर हर शंभू गाने के पूरे ट्रेक में हार्मोनियम का इस्तेमाल किया गया है। यह कहना है, हर-हर शंभू फेम गायिका अभिलिप्सा पांडा का। जो भोपाल एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आईं हुईं थी। इस दौरान नवदुनिया से खास बातचीत में अपने जीवन से जुड़े अनुभव शेयर किए।
मेरी मां मेरे लिए आइडल
अभिलिप्सा कहती हैं कि मेरी लाइफ में मां मेरे लिए आइडल है, वह बहुत अच्छी क्लासिक डांसर भी हैं। मुझे आर्ट मेरी फैमिली से ही मिला है। मेरी नानी ही पहली गुरु रही है। उन्होंने ने मेरे जन्म पर काम में मुझे गायत्री मंत्र सुनाया था। मैंने तीन साल की उम्र में ही हनुमान चालीसा याद कर ली थी।
शंभू गाने को सभी धर्म ने अपनाया
अभिल्पिसा ने कहा कि मेरी जो जेनरेशन है, वह वेस्टर्न कल्चर में डूबी हुई है। वहीं वेस्टर्न के लोग हमारी संस्कृति को अपना रहे है और हम उनकी। ऐसे में कुछ युवा है, जो अपनी संस्कृति में वापस आ रहे है। वह किसी भी माध्यम से भगवान से जुड़ रहे हैं, तो मुझे लगता है कि गलत नहीं है। लोग उन्हीं चीजों को रीमेक करते है जो उन्हें पसंद आता है। हर-हर शंभू गाने को सभी धर्मों के लोगों ने अपनाया है। उन्होंने कहा कि लाइफ के हर एक मोमेंट में टर्निंग पाइंट आता है, क्योंकि बालीवुड में जो भी गाओ दिल से गाओ, चाहे भजन हो फिल्मी गाना।
मामा के कहने पर सीखा कराते
अभिलिप्सा कहती हैं कि पहली क्लास में थी, जब मामा के यहां गई तो उन्होंने मुझे कहा कि कराते सीख लो। उनकी बात को मना नहीं कर पाई, और कराते को सीखना शुरु किया। मैं जापानी स्टाइल में कराते को सीखा और नेशनल लेवल पर ब्लैक बेल्ट भी हासिल किया। कभी कभी अभ्यास करती हूं, आने वाले समय में प्रतियोगिता की तैयारी करूंगी।