भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय के रोहित नगर सेवा केंद्र में महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन रविवार को हुआ। इसमें सेवा केंद्र के प्रभारी डा रीना दीदी ने कहा कि समाज से मानवीय मूल्य कम होते जा रहे हैं। इसके कारण व्यक्ति के अंदर तनाव, चिंता, निराशा, हताशा आदि बढ़ता जा रहा है। अतः व्यक्ति को आध्यात्मिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना होगा। परमपिता परमात्मा शिव असीम सकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत हैं। यदि हम अपने को आत्मा समझकर परमात्मा शिव का ध्यान करते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का हमारे अंदर प्रवाह होने लगता है और हमारे जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। कार्यक्रम में मानवाधिकार आयोग के डीएसपी राजेश गुरु ने कहा कि सुबह जल्दी उठकर सीधे बैठकर मैडिटेशन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारे भीतर होता है। स्वस्थ रहने के लिए हम ताजा व शुद्ध खाद्य पदार्थ खाएं। कार्यक्रम में एम्स के रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा राजेश पसरीचा ने कैंसर के लक्षण, इलाज एवं बचाव के तरीके बताए। वहीं केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-तीन की प्राध्यापक ऋतु पल्लवी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि मूल्य आधारित एवं नैतिक शिक्षा के लिए अच्छा वातारण बनाना। कार्यक्रम में बीके सुरेश, सुरेंद्र भाई सहित बड़ी संख्या में सेवा केंद्र से जुड़े लोग शामिल हुए।
ईसाई समाज के चालीस दिवसीय उपवास दो मार्च से शुरू
ईसाई समाज के 40 दिवसीय उपवास शुरू होंगे। ईस्टर के पूर्व गुड फ्रायडे तक ईसाई समाज के लोग ये 40 दिन दुख भोग के रूप में मनाते है। इस दौरान लोग प्रार्थना, परहेज और उपवास के साथ समय व्यतित करते हैं। प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए बलिदान को याद करते हैं। गुड फ्राइडे के बाद प्रभु यीशु के पुर्नरूत्थान का पर्व ईस्टर मनाया जाता है। इस बार चालीसा दो मार्च से शुरू होगा। पवित्र शनिवार 16 अप्रैल को समाप्त होगा। इन दिनों ईसाइयों को तीन धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उपवास, संयम, प्रार्थना और दान पुण्य के कार्य किए जाएंगे। क्रूस का रास्ता (14 विश्राम ) प्रत्येक शुक्रवार को व्यक्तियों और समुदायों दोनों द्वारा प्रार्थना करने के पारंपरिक ईसाई तरीकों में से एक होता है। बलिदान के एक भाग के रूप में, ईसाई लोग समाज में भूखे और बीमारों की मदद के लिए धन बचाते हैं। यह इस बात पर चिंतन करने का समय होता है कि जो चीजें हमारे पास हैं और जो धन हम कमाते हैं, इसको कैसे साझा करतें हैं।0 माथे पर राख से क्रूस का निशानचालीसा में चर्च में पवित्र मिस्सा के दौरान वेदी के कपड़े और वस्त्रों का रंग बैंगनी होता है, जो याद दिलाता है कि पापों को दूर करने और ईश्वर के पास लौटने का यह एक परम सौभाग्य अवसर है। चालीसा काल राख बुधवार 2 मार्च से आरंभ होगा । इस दिन पुरोहित लोगों के माथे पर राख से क्रूस का निशान बनाकर कहते हैं (मनुष्य याद रखो कि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में लौट जाओगे, इसलिए पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो) इन दिनों मसीह लोग दुनिया के भूखे और गरीबों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए परहेज रखते हैं ।