मनोज तिवारी, भोपाल। मप्र में हरियाली बढ़ाने के लिए राज्य सरकार उद्योगपतियों को वनभूमि देने की तैयारी कर रही है। इस योजना से केंद्र सरकार सहमत बताई जा रही है, इसलिए वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। योजना के तहत कंपनियों को पौधे विहीन वनभूमि दी जाएगी। बाजार की मांग के मुताबिक कंपनियां पौधे लगाएंगी और इनमें से 20 फीसदी पेड़ों को फसल की तरह इस्तेमाल करेंगी। कंपनियों को 30 से 50 साल के लिए लीज पर जमीन देने की शर्तें तैयार की जा रही हैं।
95 लाख हेक्टेयर वनभूमि है प्रदेश में
हरियाली 60 लाख हेक्टेयर बिगड़े वन हैं
03 से 4 लाख हेक्टेयर वनों का ही संधारण कर पाती है सरकार
23 फीसदी हरियाली है प्रदेश में
वर्तमान में योजना से पीएमओ भी सहमत कंपनियों को वनभूमि देकर नए जंगल तैयार करने का आइडिया पीएमओ तक जा चुका है और पीएमओ इससे सहमत भी बताया जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार ने प्रस्ताव का क्रियान्वयन तेज कर दिया है। योजना में ऑनरशिप वन विभाग की रहेगी, जबकि कंपनियों से वन समितियां अनुबंध करेंगी। अनुबंध 60-40 के अनुपात में होगा यानी जंगल लगाने से होने वाली आमदनी में 60 फीसदी लाभ कंपनी और 40 फीसदी समिति का होगा।
फेल हो चुका है एक मॉडल
वर्ष 1990 में बिगड़े वनों को सुधारने के लिए राज्य सरकार 'वृक्ष सहकारिता योजना" लाई थी, जो एक दशक ही चली। इसमें वन विभाग को करीब सौ करोड़ रुपए के घाटे में उतरना पड़ा था।
ऐसे करेंगे जंगल तैयार
सूत्रों के मुताबिक वन समितियों के माध्यम से विभाग ख्यातलब्ध कंपनियों से अनुबंध करेगा। कंपनियां तय भूमि पर बाजार की मांग के मुताबिक पौधे लगाएंगी और उन पौधों के पेड़ बनने पर कंपनियां उन्हें काटकर फसल की तरह बेच सकेंगी। इनमें बांस की खेती भी की जा सकती है।
क्या हैं बिगड़े वन
लगातार लकड़ी कटाई के कारण जिन जंगलों में मैदान उभर आए हैं। उन्हें बिगड़े वन कहा जाता है। ऐसे क्षेत्रों में प्लांटेशन लगाकर जंगल तैयार किए जाते हैं।