Madhya Pradesh News: भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में अफ्रीकी चीता बसाने की योजना परवान चढ़ती नजर आ रही है। 23 नवंबर से तीन दिसंबर 2020 तक प्रदेश के दौरे पर रही सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी की सब कमेटी ने कूनो पालपुर के बाद चीतों के लिए सबसे मुफीद जगह मालवांचल के गांधी सागर अभयारण्य को माना है। वहीं राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क में भी संभावनाएं बताई हैं। कमेटी ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि सभी क्षेत्रों में कुछ काम होने हैं, जिन पर राशि खर्च होगी। राज्य सरकारें इसके लिए तैयार हों, तो सहमति लेकर बताएं, ताकि चयनित क्षेत्रों में ही चीता बसाने के प्रयास जारी रखे जा सकें।
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वायवी झाला के नेतृत्व में आई सब कमेटी ने 11 दिन में मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो पालपुर, मंदसौर-नीमच जिलों में फैले गांधी सागर अभयारण्य, शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क, सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य के साथ राजस्थान में मुकुंदरा हिल्स और शेरगढ़ अभयारण्य का दौरा किया था।
इनमें से चीता को बसाने की सबसे ज्यादा संभावनाएं कूनो पालपुर और गांधी सागर अभयारण्य में ही दिखी। कमेटी ने मुकुंदरा हिल्स को भी उपर्युक्त माना, क्योंकि वहां चीतों की सुरक्षा के लिए बाड़ा है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि बाड़े का उपयोग अफ्रीका से चीते लाकर पहले यहां रखने के लिए भी किया जा सकता है।
कमेटी ने कहा है सभी संरक्षित क्षेत्रों में कुछ न कुछ काम होने हैं। कहीं चैनलिंग फेंसिंग होनी है, तो कहीं चीतों के लिए खाने का इंतजाम करना पड़ेगा। इसके लिए इन क्षेत्रों में शाकाहारी वन्यप्राणियों की शिफ्टिंग और पानी का इंतजाम करना होगा। कुछ जगह घास के जंगल तैयार करने पड़ेंगे। इन सबमें कूनो पालपुर ही ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे कम खर्च है।
एक से ज्यादा स्थानों पर रखे जाएंगे चीते
वर्ष 1948 में देश में आखिरी चीता देखा गया था। इस प्रजाति को फिर से बसाने की कोशिश शुरू हुई, तो यह भी तय हुआ कि अफ्रीका से आने वाले चीते एक ही जगह नहीं बसाए जाएं। दो या तीन स्थानों का चयन किया जाना है, ताकि यहां आने के बाद इस प्रजाति को किसी घातक बीमारी या जलवायु परिवर्तन की वजह से नुकसान न हो। कमेटी ने यह भी देखा कि चयनित संरक्षित क्षेत्रों में खाने और पानी का कहां-कितना प्रबंध है। कितने वर्ग किमी खुले क्षेत्र में शाकाहारी वन्यप्राणी हैं।
गांधी सागर में कितने वर्ग किमी में वन्यप्राणी
वन्यप्राणी -- वर्ग किमी
नीलगाय -- 2.027
जंगली सुअर -- 2.84
चिंकारा -- 0.87
गाय -- 1.02
भैंस -- 2.45
कूनो पालपुर नेशनल पार्क में कितने वर्ग किमी में वन्यप्राणी
वन्यप्राणी -- वर्ग किमी
चीतल -- 52.87
सांभर -- 0.66
नीलगाय -- 1.77
जंगली सुअर -- 6.03
चिंकारा -- 0.19
गाय -- 32.91
भैंस -- 0.34