Madhya Pradesh MLA : रवींद्र कैलासिया, भोपाल। देशभर की विधानसभाओं में एक जैसी चुनाव प्रक्रिया से जीतकर विधायक बनने के बाद भी उन्हें मिलने वाले वेतन-भत्तों में जमीन-आसमान का अंतर है। मेघालय में विधायक का वेतन जहां 20 हजार रुपए प्रतिमाह है, वहीं मध्य प्रदेश के विधायक उनसे करीब पांच गुना ज्यादा एक लाख 10 हजार रुपए वेतन-भत्ते पा रहे हैं। जबकि महाराष्ट्र के विधायक तो दस गुना ज्यादा दो लाख 32 हजार रुपए वेतन-भत्ते पाते हैं। भारतीय लोकतंत्र में विधानसभाओं को निर्णय लेने की स्वतंत्रता है, जिसमें उन्हें विधायकों के वेतन-भत्ते घटाने या बढ़ाने का भी अधिकार है। इस व्यवस्था से देशभर की विधानसभाओं में विधायकों के वेतन-भत्तों में भारी-भरकम अंतर दिखाई देता है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों के वेतन-भत्तों को बढ़ाने की कवायद जब शुरू की गई थी तो देशभर की विधानसभा के वेतन-भत्तों का तुलनात्मक अध्ययन हुआ था। उससे ही यह चौंकाने वाला अंतर सामने आया।
वेतन-भत्तों में जबरदस्त अंतर
सूत्र बताते हैं कि मेघालय के विधायकों को सबसे कम वेतन मिलता है। पूर्वोत्तर राज्यों में अरुणाचल और असम के विधायकों को मेघालय के विधायक से छह गुना तक ज्यादा वेतन-भत्ते मिलते हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में माननीयों के वेतन-भत्ते छत्तीसगढ़ के विधायकों से 30 हजार रुपये ज्यादा हैं। हरियाणा और पड़ोसी राज्य पंजाब के विधायकों के वेतन-भत्ते में भी लगभग दोगुना अंतर है।
कमल नाथ सरकार ने बढ़ाना चाहा था वेतन
मध्य प्रदेश में अप्रैल 2016 में विधायकों के वेतन-भत्तों में आखिरी बार वृद्धि की गई थी। इसके बाद पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद इसे फिर बढ़ाने पर विचार किया था। विधानसभा उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी बनी, लेकिन इसकी कुछ बैठकें ही हो सकीं थीं। सरकार गिरने के साथ ही समिति का अस्तित्व भी समाप्त हो गया।