भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। कुपोषण के मामले में देश में तीसरा नंबर रखने वाले मध्य प्रदेश में अब मोटा अनाज (कोदो-कुटकी, ज्वार, बाजरा, मक्का) कुपोषण दूर करेगा। राज्य सरकार मंडला, डिंडौरी, बालाघाट, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को कोदो से बनी बर्फी, नमकीन और बिस्किट देगी। यह सामग्री स्थानीय स्तर पर महिला स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे।
अधिकारियों को उम्मीद है कि कोदो में पाए जाने वाले पोषक तत्व कुपोषण दूर करने में मददगार साबित होंगे। यह प्रयोग सफल रहा, तो प्रदेश के सभी 97 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में कोदो की बर्फी बच्चों को खाने को मिलेगी। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 48 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। कुपोषण से मृत्यु दर 42.8 फीसद है। यह रिपोर्ट वर्ष 2018 में आई थी।
इसके बाद कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसे देखते हुए कुपोषण दूर करने के लिए नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी श्रेणी में छह जिलों में कोदो के व्यंजन दिए जाने हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग का दावा है कि इससे 'वोकल फॉर लोकल' को भी बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि रेडी टू ईट बनाने का काम स्व-सहायता समूहों को सौंपा जा रहा है। समूह के सदस्यों को रोजगार मिलेगा।
वर्तमान में दी जा रही सामग्री वर्तमान में आंगनबाड़ी केंद्रों में छह माह से तीन साल तक के बच्चों एवं गर्भवती व धात्री माताओं को गेहूं-सोया बर्फी, बेसन के लड्डू, हलुआ, खिचड़ी, मीठी लप्सी, उपमा, दलिया आदि दिया जा रहा है।
सरकार प्रत्येक बच्चे पर प्रतिदिन आठ रुपये, अधिकतम वजन के बच्चों पर 12 रुपये और गर्भवती एवं ;घळर्-धात्री माता और किशोरियों पर 9.50 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कोदो में 8.3 फीसद प्रोटीन कोदो पाचक और पौष्टिक आहार है।
इसमें 8.3 फीसद प्रोटीन, 1.4 फीसद वसा और 65.9 फीसद कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसमें चावल के मुकाबले 12 गुना कैल्शियम पाया जाता है। यह शरीर में आयरन की कमी को दूर करता है और कई और पौष्टिक तत्वों की कमी को पूरा करता है।
इनका कहना है
कोदो के गुणों को देखते हुए उसे आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज बच्चों के आहार में शामिल किया जा रहा है। अभी छह जिलों में इसकी शुरुआत की जा रही है। बच्चों ने पसंद किया, तो प्रदेश के दूसरे जिलों में भी शुरू करेंगे।
-अशोक शाह, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग