Kaal Bairav Ashtami 2022: काल भैरव जयंती आज, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत-पूजन विधि
मान्यता है कि विधि-विधान पूर्वक काल भैरव की उपासना से व्यक्ति के मन से भय और अवसाद का नाश होता है। शनि और राहु जैसे ग्रहों की बाधाओं से मुक्ति के लिए भी पंडित-ज्योतिषी काल भैरव के पूजन की सलाह देते हैं।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Wed, 16 Nov 2022 07:25:08 AM (IST)
Updated Date: Wed, 16 Nov 2022 07:25:08 AM (IST)
Kaal Bairav Ashtami 2022: भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। आज काल भैरव जयंती यानी काल भैरव अष्टमी है। भगवान शिव के रुद्र स्वरूप माने जाने वाले काल भैरव का आज विशेष पूजन किया जाता है। मान्यता है कि विधि-विधान पूर्वक काल भैरव की उपासना से व्यक्ति के मन से भय और अवसाद का नाश होता है। शनि और राहु जैसे ग्रहों की बाधाओं से मुक्ति के लिए भी पंडित-ज्योतिषी काल भैरव के पूजन की सलाह देते हैं।
इस पावन मौके पर आज शहर में स्थित काल भैरव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगेगा। नेवरी लालघाटी में स्थित काल भैरव मठ के पंडा कैलाश बाबा ने बताया कि काल भैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मनुष्य किसी रोग से लंबे समय से पीड़ित है तो काल भैरव का पूजन करने वह रोग व तकलीफ और दुख भी दूर होते हैं। भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला, इसीलिए ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन जो भी व्यक्ति काल भैरव की पूजा करता है, उसके मन भय का नाश होता है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। विद्वानों का मानना है कि ये पूजा रात में की जाती है। कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्याह्न के समय भगवान शंकर के अंश से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी।
काल भैरवाष्टमी शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 16 नवंबर बुधवार को सुबह 05:49 से प्रारंभ हुई है, जो 17 नवंबर गुरुवार को सुबह 07:57 मिनट तक रहेगी।
अष्टमी के दिन बन रहे ये चौघड़िया मुहूर्त-
लाभ - उन्नति- सुबह 06:44 से 08:05 बजे तक।
अमृत - सर्वोत्तम- सुबह 08:05 से 09:25 बजे तक।
शुभ - उत्तम- सुबह 10:45 बजे से अपराह्न 12:06 तक।
लाभ - उन्नति- शाम 04:07 बजे से 05:27 तक।
पूजा-विधि
-इस दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं।
संभव हो तो गंगा जल से शुद्धि करें।
-व्रत का संकल्प लें। पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
-ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। काल भैरव की आराधना करें।
-अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
-व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं।
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