वैभव श्रीधर, नईदुनिया भोपाल: देश में सर्वाधिक बाघ मध्य प्रदेश के जंगल में हैं और इसके पीछे यहां उनके संरक्षण के प्रयासों का अनूठा मॉडल भी है। बाघों को बचाने के लिए यहां जंगल में बसे गांवों को विस्थापित करने में भी हिचक नहीं रही। वर्ष 2010 से 2022 तक विभिन्न टाइगर रिजर्व में बसे 200 गांवों को विस्थापित किया गया।
उधर, राज्य स्तरीय स्ट्राइक फोर्स ने पिछले आठ वर्षों में वन्य प्राणी अपराध करने वाले 550 आरोपितों को गिरफ्तार कर शिकार पर नकेल भी कसी है। बाघों के भोजन की उचित व्यवस्था के लिए हिरणों को भी विस्थापित कर बाघों की बहुलता वाले क्षेत्र में छोड़ा गया। इसके अलावा बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में सफल बाघ पुनर्स्थापन केस स्टडी बन चुका है।
टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 526 (वर्ष 2018 की गणना) से बढ़कर वर्ष 2022 तक 785 पहुंच गई। यह देश में सर्वाधिक है। मध्य प्रदेश में चार-पांच वर्ष में 259 बाघ बढ़े हैं। मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए संरक्षण के कई प्रयास किए गए।
गांवों को टाइगर रिजर्व से हटाने के अलावा कान्हा के बारहसिंगा, बायसन और वाइल्ड बोर को दूसरे टाइगर रिजर्व में बसाया गया, जिससे बाघों के लिए भोजन आधार बढ़ा। जंगल के बीच में जो गांव और खेत खाली हुए वहां घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए जिससे शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी।
पिछले वर्ष 500 से अधिक चीतलों (हिरण प्रजाति) को अधिक आबादी वाले भाग से कम आबादी वाले एवं चीतल विहीन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया।
कान्हा टाइगर रिजर्व भारत का पहला ऐसा कारिडोर है, जहां का प्रबंधन स्थानीय समुदायों, सरकारी विभागों, अनुसंधान संस्थानों और नागरिक संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है।
बाघों की जिस तरह से संख्या बढ़ रही है, उसके अनुरूप रहवास क्षेत्र विस्तार नहीं हो रहा है। आपसी संघर्ष की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं। अब रातापानी और ओंकारेश्वर को टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी हो रही है।
वर्ष | बाघों की संख्या |
2006 | 300 |
2010 | 257 |
2014 | 308 |
2018 | 526 |
2022 | 785 |
(स्रोतः राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण-एनटीसीए)
वित्तीय वर्ष | पर्यटकों की संख्या (लाख में) |
2020-21 | 13.96 |
2021-22 | 23.90 |
2022-23 | 26.49 |
(स्रोतः वन विभाग)
बाघों की संख्या बढ़ने से पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वन विभाग की आय भी 13 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
- शुभरंजन सेन, प्रभारी पीसीसीएफ वन्यप्राणी