भोपाल (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में अधिकारियों के आपा खोने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सबसे पहले शाजापुर के कलेक्टर किशोर कान्याल का मामला सामने आया था। उन्होंने हड़ताल समाप्त कराने को लेकर बैठक में एक ड्राइवर से कहा था, तुम्हारी औकात क्या है। इसके बाद मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश पर उन्हें हटाकर मंत्रालय में उप सचिव बनाया गया था।
मुख्यमंत्री ने सख्त शब्दों में कहा था कि आमजन से ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं होगी। यह गरीबों की सरकार है। इसके बाद देवास जिले के सोनकच्छ की तहसीलदार का मामला सामने आ गया, जिसमें वह किसानों पर भड़क गईं। उमरिया जिले के बांधवगढ़ के एसडीएम अमित सिंह ने तो कुछ युवकों से सड़क पर मारपीट कर दी।
मुख्यमंत्री ने इंटरनेट मीडिया (एक्स) पर भेजी पोस्ट में कहा है कि, बांधवगढ़ एसडीएम द्वारा दो युवकों से मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। एसडीएम को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। मध्य प्रदेश में सुशासन की सरकार है। आमजन से इस तरह का अमानवीय व्यवहार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसडीएम को निलंबित कर दिया गया है।
पहली घटना: दो जनवरी ट्रक और बस ड्राइवरों की हड़ताल दौरान शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल ने बैठक में ड्राइवर से कहा था, क्या करोगे तुम, क्या औकात है तुम्हारी? इस पर उस व्यक्ति ने कहा था यह लड़ाई इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि मेरी कोई औकात नहीं है। इंटरनेट मीडिया पर वीडियाे बहु प्रसारित होने के बाद मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कान्याल को हटाने के निर्देश दिए थे। उन्हें मंत्रालय में उप सचिव पदस्थ किया गया था।
दूसरी घटना : 15 जनवरी सोनकच्छ की तहसीलदार अंजली गुप्ता का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित हुआ, जिसमें वह एक किसान को कह रही हैं कि, चूजे हैं, ये अंडे से निकले नहीं मरने-मारने की बड़ी-बड़ी बात करते हैं। मैं अभी तक आराम से बात कर रही थी, लेकिन आज इसने कैसे बोल दिया मैं रिस्पान्सिबल हूं। मैं तहसीलदार हूं, शासन को आपने चुना, मैंने चुना क्या? किसान ने अपने खेत में निजी कंपनी को खड़ी फसल में टावर लगाने से मना कर दिया था, जिससे विवाद की स्थिति बनी थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तहसीलदार को हटा दिया गया था।
तीसरी घटना : 22 जनवरी उमरिया जिले के बांधवगढ़ के एसडीएम अमित सिंह एक वीडियाे इंटरनेट में मीडिया में सामने आया है। वीडियो में अमित सिंह सड़क पर कुछ युवकों से मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। पीड़ित प्रकाश दाहिया ने इस मामले में उमरिया के सिविल लाइन थान में एफआइआर दर्ज कराई है। कहा जा रहा है कि युवक ने एसडीएम की गाड़ी को ओवर टेक करने की कोशिश की थी, जिससे वह गुस्सा हो गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमित सिंह को निलंबित कर दिया गया।
अधिकारियों को यह पता नहीं है कि उनकी भूमिका क्या है। उन्हें जो अधिकार मिलते हैं उसे लेकर उन्हें गलतफहमी हो जाती है। उन्हें लगता है वह जनता से ऊपर हैं। अधिकारों के साथ जिम्मेदारियां भी आती हैं, जिन्हें अधिकारियों को समझना चाहिए। मैं समझता हूं वरिष्ठ अधिकारी जिस तरह से दुर्व्यवहार कर रहे हैं इसे रोकने के लिए उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है। दूसरी बात यह कि ऐसे अधिकारियों को सिर्फ हटा देना पर्याप्त नहीं है। इन्हें दंडित भी करना चाहिए। उनकी सीआर में घटना का उल्लेख किया जाना चाहिए।
केएस शर्मा, सेवानिवृत, मुख्य सचिव