भोपाल। 1987 बैच की आईएएस अफसर गौरी सिंह के स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर नौकरी छोड़ने के मुद्दे पर शुक्रवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि पोषाहार माफिया के दबाव में सिंह को इतना प्रताड़ित किया गया कि उन्हें नौकरी छोड़ने जैसा कदम उठाना पड़ा। प्रदेश में तबादला माफिया हावी है। ईमानदार अफसर परेशान हैं। सत्तापक्ष ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्रियों ने कहा कि सिंह ने स्वेच्छा से वीआरएस लिया। तबादला उनके द्वारा गलती करने की वजह से किया था।
हमारी सरकार में किसी को नियम-कायदे ताक पर रखकर काम करने का अधिकार नहीं है, जैसा आपकी सरकार में होता था। विपक्ष ने गर्भगृह में आकर नारेबाजी की और हंगामे के बीच अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने जरूरी सरकारी काम पूरे कराकर संसदीय कार्यमंत्री डॉ.गोविंद सिंह के प्रस्ताव पर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
शून्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौरी सिंह के नौकरी छोड़ने का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार चरम पर है। सिंह का तबादला पोषाहार माफिया के दबाव में किया गया क्योंकि उन्होंने पोषाहार के प्लांट एमपी एग्रो को देने का विरोध किया था। वहां ठेकेदार काम करेंगे।
ईमानदार अफसर नौकरी छोड़ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूछा कि सिंह ने फाइल पर ऐसा क्या लिखा था, जो तबादला किया गया। वहीं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल, जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा, वित्त मंत्री तरुण भनोत सहित अन्य मंत्रियों ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। पटेल ने कहा कि आरोप निराधार हैं। सिंह ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने का आवेदन दिया है। उनका तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने नियम-कायदों के परे जाकर पंचायतों के आरक्षण का कार्यक्रम जारी कर दिया।
न तो मुझ (विभागीय मंत्री) से अनुमोदन लिया और न ही मुख्यमंत्री को बताया। किसी को भी नियम-कायदों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन का अध्यक्ष होने से कुछ भी अधिकार नहीं मिल जाते हैं। पूरक पोषण आहार को लेकर लगाए गए आरोपों पर कहा कि पोषाहार का काम ठेकेदारों को नहीं दिया जा रहा है। ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। भाजपा सरकार में पोषाहार व्यवस्था में घोटाले होते थे। कमलनाथ सरकार इन व्यवस्थाओं को सुधार रही है तो विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है।
उधर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि जिस अधिकारी की जहां उपयोगिता होती है वहां लगाया जाता है। वल्लभ भवन में प्रदेश की जनता, सांसद-विधायक सहित अन्य लोग जाते हैं, उन्हें अपमानित नहीं करना है। ऐसा नहीं है कि सिंह पहली अफसर है, जिन्होंने वीआरएस लिया है। भाजपा सरकार में प्रवेश शर्मा, रश्मि शुक्ला शर्मा, अनिल यादव और मुकेश कक्कड़ वीआरएस ले चुके हैं। क्या इन्हें भाजपा ने प्रताड़ित किया था। हालांकि, विपक्ष सरकार के किसी दलील से संतुष्ट नहीं हुआ और गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच शासकीय कार्र्य कराए गए और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।