Guru Purnima:अंजली राय, भोपाल। आज गुरु पूर्णिमा है, गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन। समाज में उन गुरुओं को विशेष स्थान मिला हुआ है जिन्होंने पढ़ाने के खास तरीके विकसित किए। या फिर उन्होंने अपने विद्यार्थियों के जीवन को नया संबल दिया। आज के दौर में शिक्षक का काम एक नौकरी तक सीमित रह गया है। वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी भूमिका का विस्तार गुरु तक का कर लिया है। भोपाल के डा. भरत व्यास और अपर्णा नारोलिया ऐसे ही शिक्षक हैं जिन्होंने जिन्हाेंने अपने तरीकों से गुरुता पाई है। आज के दिन इन दोनों शिक्षकों की कहानी जिन्होंने अपने विद्यार्थियों के लिए नई लीक बनाई।
प्रशासनिक दायित्वों के बावजूद कक्षाएं जरूर लेते हैं
स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी डा. भरत व्यास चाहे शिक्षक या प्राचार्य रहें हो, लेकिन उनकी भूमिका हमेशा से ही एक गुरु की रही है। वे अब भी अपने व्यस्त कार्यप्रणाली से कम से कम दो घंटे का समय किसी स्कूल में जाकर पढ़ाने के लिए निकालते हैं। उन्हें सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय या कमला नेहरू में विद्यार्थियों को भौतिकी पढ़ाते देखा जा सकता है। वे मूलत: भौतिकशास्त्र के व्याख्याता हैं। जब शिक्षक थे तब उन्होंने नए-नए प्रयोग कर विद्यार्थियों को आसानी से विज्ञानी पद्धति को बताया। जब प्राचार्य बनें तो नई-नई पहल कर बच्चों को अनुशासन व ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। 1988 में डा. व्यास व्याख्याता बनें। तब वे स्कूल के बाद घर पर विद्यार्थियों को निश्शुल्क भौतिक शास्त्र पढ़ाया। स्कूल में एक भी दिन भी स्कूल से अनुपस्थित नहीं रहें। जब 2010 में उज्जैन के एक स्कूल के प्राचार्य बनें। तब उन्होंने कई विद्यार्थियों की आर्थिक से लेकर हर तरह से मदद की। उन्होंने शासकीय कन्या उमावि क्षीरसागर में छात्राओं की उपस्थिति को सौ प्रतिशत बढ़ाने के लिए माताओं को सम्मानित करने की पहल की।
दो विद्यार्थियों के करियर को संवारा
डा. व्यास ने अपने करियर के दौरान कई विद्यार्थियों के गुरु रहें, लेकिन उनके दो शिष्य रूचि सोनकर और रजत शाद के बुहत खास रहें। रूचि को उन्होंने निश्शुल्क पढ़ाया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान आर्थिक मदद भी की। रूचि अब एक साफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर के पद पर हैं। वे जब भी अपने शहर आती हैं। अपने गुरु से जरूर मिलती हैं। वहीं रजत शाद आइआइएम इंदौर में प्रवेश दिलाने में एकेडमिक मदद की।
प्राचार्य के कार्यकाल के दौरान ये पहल
डा. व्यास ने शासकीय कन्या उमावि क्षीरसागर में छात्राओं की उपस्थिति पर माताओं को सम्मानित करने की पहल की। 100 प्रतिशत छात्राओं की उपस्थिति पर छात्राओं का नाम नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाती थी। उन्होंने स्कूल में तिमाही और छमाही परीक्षा में बिना पर्यवेक्षक के परीक्षा कराने पहल की। शासकीय नवीन कन्या हासे स्कूल में सांइस की छात्राएं संस्कृत में बात कराने की पहल की।
विद्यार्थियों के लिए पूरा दिन समर्पित
राजधानी के शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय में सभी विद्यार्थियों के लिए उनकी एक फेवरेट शिक्षक या गुरु अपर्णा नारोलिया हैं। उन्हें हर समय विद्यार्थियों से बीच घिरा हुआ देखा जा सकता है। अक्सर शिक्षक अपनी आठ घंटे की ड्यूटी कर चले जाते हैं, लेकिन अपर्णा 10 से 12 घंटे तक स्कूल या छात्रावास में बच्चों को देती हैं। वे इकोनामिक्स की क्लास भी लेती हैं। उनका फोकस अपने क्लास के एक-एक बच्चे पर होता है। 26 साल से शिक्षण कार्य कर रही हैं।
बच्चों की करती हैं देखभाल
अपर्णा छात्रावास की प्रभारी भी हैं। छुट्टियों में छात्रावास बंद होने पर भी जो विद्यार्थी अपने घर नहीं जाते उन्हें अपर्णा अपने घर ले जाती हैं। उनके रूकने और खाने-पीने की व्यवस्था करती हैं। अगर कोई बच्चा बीमार पड़ जाए तो वे रातभर उनकी देखभाल करती हैं।