राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश के 15 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को आयुष्मान जैसी स्वास्थ्य सुविधा देने की तैयारी है। आयुष्मान योजना की तरह प्रदेश और प्रदेश के बाहर के निजी अस्पतालों से अनुबंध कर इलाज कराया जाएगा। सरकार इस योजना पर अंतिम दौर का मंथन कर रही है।
कर्मचारी संगठनों के अनुसार, वे कैशलेस उपचार की सुविधा चाहते हैं। ऐसे में सरकार कर्मचारी संगठनों के सुझावों पर अमल कर जल्द ही इस योजना को लागू कर सकती है। आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना लाई जा रही है। इस योजना में कर्मचारियों के वेतन से अंशदान काटा जाएगा और शेष राशि सरकार जमा कराएगी।
योजना में प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिवारों को सामान्य इलाज के लिए पांच लाख रुपये और गंभीर मामलों में इलाज के लिए 10 लाख रुपये तक की फ्री चिकित्सा और ओपीडी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
इस योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन से 250 से 1000 रुपये तक मासिक अंशदान लिया जाएगा। शेष राशि सरकार मिलाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने फरवरी 2020 में प्रदेश के कर्मचारियों के लिए फ्री इलाज की घोषणा की थी। इसका आदेश भी जारी हुआ था, लेकिन योजना शुरू नहीं की जा सकी है। उत्तराखंड सरकार इस तरह की योजना वर्तमान में संचालित कर रही है।
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2019 में कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों का स्वास्थ्य बीमा कराने व कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने योजना का प्रस्ताव बनाया था, इनमें बीमा राशि का कुछ हिस्सा कर्मचारियों से लेकर पांच से दस लाख रुपये तक कैशलेस उपचार कराया जाना था, लेकिन 15 माह बाद ही सरकार बदल गई और शिवराज सरकार ने इस प्रस्ताव पर नए सिरे से काम किया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मियों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समेत कई तरह के शासकीय कर्मचारियों को योजना का लाभ देने की बात कही थी, लेकिन अब तक आयुष्मान जैसी सुविधा कर्मचारियों को उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।
नियमित, विनियमित, संविदा, शिक्षक संवर्ग, सेवानिवृत्त कर्मचारी, नगर सैनिक, कार्यभारित, राज्य की स्वशासी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, आशा एवं ऊषा कार्यकर्ता, आशा सुपरवाइजर और कोटवार स्वास्थ्य सुविधा का लाभ ले पाएंगे। इन कर्मचारियों को संख्या 15 लाख से अधिक है।
कर्मचारियों को कैशलेस उपचार की सुविधा देने की अन्य राज्यों में व्यवस्था है, लेकिन मप्र में कर्मचारियों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं। सरकार से हमारी मांग है कि मप्र में भी कैशलेस मेडिकल सुविधा सुविधा होनी चाहिए। सरकार इसकी घोषणा तो की है, लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। - लक्ष्मीनारायण शर्मा, सचिव, मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ