Diwali 2022: ग्रीन पटाखों से फलक पर बना सकते हैं इंद्रधनुष सा नजारा, सुतली बम की मांग हुई कम
भोपाल के पटाखा बाजार में दीपावली की खरीदी शुरू। ग्रीन पटाखों के दाम सामान्य पटाखों से अधिक हैं, लेकिन इको फ्रेंडली होने के कारण इनकी मांग बढ़ गई है। पांच करोड़ रुपये से अधिक के पटाखे बिकने की उम्मीद।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Thu, 20 Oct 2022 03:26:55 PM (IST)
Updated Date: Thu, 20 Oct 2022 03:26:55 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। इस दीपावली पर आप ग्रीन पटाखों से फलक पर इंद्रधनुष बना सकते हैं। इस बार पटाखा बाजार में परंपरागत सुतली बम एवं तेज आवाज वाले पटाखों की मांग भी कम है और माल भी कम। ग्रीन पटाखों के दाम सामान्य पटाखों से अधिक हैं, लेकिन इको फ्रेंडली होने के कारण इनकी मांग बढ़ गई है। सरकारी दिशा-निर्देश के कारण भी पुरानी पीढ़ी के पटाखे अब बीते दिनों की बात हो गई है।
राजधानी में दशहरे से दीपावली के बीच करीब पांच करोड़ रुपये से अधिक के पटाखे बिक जाते हैं। इसमें से बड़ा हिस्सा ग्रीन पटाखों का है। पटाखों का ध्वनि स्तर सरकार ने 125 डेसिबल तय किया है। इससे अधिक आवाज वाले पटाखे तीन साल से प्रतिबंधित हैं। पिछले साल तक पुराना स्टाक होने के कारण बाजार में अधिक आवाज वाले पटाखे बिक रहे थे। प्रशासन की सख्ती के बाद अब ऐसे पटाखे गायब हो चुके हैं। चीन में बने पटाखे पहले ही प्रतिबंधित किए जा चुके हैं। चीनी पटाखे 200 डेसिबल तक धमाका करते थे। युवा पीढ़ी तेज आवाज के कारण ही इसे पसंद करती थी लेकिन यह पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक होते हैं। दुर्घटनाओं का भय भी बना रहता है। अब व्यापारी स्व प्रेरणा से स्वदेशी पटाखे ही बेच रहे हैं।
म्यूजिकल मल्टीशाट बनाएगा इंद्रधनुष
बाजार में रंगीन म्यूजिकल मल्टीशाट अनार धूम मचा रहे हैं। इसमें आग लगाते ही यह आसमान में जाकर लगातार धमाके करता है और अंत में इंद्रधनुष के आकार में फैल जाता है। ऐसा लगता है फलक पर इंद्रधनुष बन गया है। पटाखा व्यापारी धर्मप्रकाश सबनानी के अनुसार यह चीन की तर्ज पर बनी स्वदेशी आतिशबाजी का नमूना है। चीनी डिजाइन पर बने कई स्वदेशी पटाखे बच्चों को लुभा रहे हैं। बच्चों के लिए इस बार पापअप पटाखे भी धूम मचा रहे हैं। इसे फर्श पर जोर से फेंका जाता है। बिना आग लगाए ही यह धमाका करता है। सुरक्षित और सस्ता होने के कारण यह बच्चों की पहली पसंद है। परंपरागत अनार, फुलझड़ी, राकेट, फ्लश बम एवं कैप्सूल बम की मांग अधिक है। माचिस की तीली डालकर आवाज करने वाली माचिसगन भी लुभा रही है। बच्चे धागा बम भी पसंद कर रहे हैं। यह रेशमी राखी की तरह विशेष प्रकार का पटाखा है जो खींचते ही तेज आवाज करता है।
नीरी तय करती है पटाखे ग्रीन हैं या नहीं
ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज है। यह एक सरकारी संस्थान है जो वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद सीएसआइआर के अधीन आता है। इसका उत्पादन पेट्रोलियम एवं एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गेनाइजेशन (पीईएसओ) की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है। पटाखों के पैकेट पर ही नीरी की सील लगी रहती है। ग्रीन श्रेणी होने पर ही सील लगाई जाती है।
शिवाकाशी से ही अब ग्रीन पटाखे आ रहे हैं। अधिक आवाज वाले सुतली बम का उत्पादन भी बंद हो गया है। ग्रीन श्रेणी के पटाखों के दाम सामान्य पटाखों से अधिक हैं। 18 फीसद जीएसटी का भुगतान भी ग्राहक पर ही पड़ रहा है, इस कारण पटाखे पिछले साल के मुकाबले महंगे हैं। मांग भी कम है।
- दौलतराम सबनानी, अध्यक्ष पटाखा व्यापारी संघ