Debt on Madhya Pradesh: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुई प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई है। सरकार का राजस्व संग्रहण भी बढ़ रहा है और केंद्र सरकार से भरपूर सहयोग भी मिल रहा है, पर ऋण का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार 12 हजार करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। इसे मिलाकर प्रदेश के ऊपर तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण हो गया है। हालांकि, यह प्रदेश के लिए स्वीकृत ऋण लेने की सीमा के भीतर है। उधर, इस वर्ष ब्याज अदायगी पर 22 हजार करोड़ और ऋणों के पुनर्भुगतान में 24 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का व्यय अनुमानित है।
उधर, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विधानसभा में कांग्रेस द्वारा सरकार के विरुद्ध प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव में भी यह प्रमुख मुद्दा था। हालांकि, सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था गतिशील बनी हुई है। राजस्व संग्रहण बढ़ा है तो स्वयं की आय बढ़ाने के रास्ते भी तलाशे गए हैं। जो ऋण लिया जा रहा है, वो नियमानुसार है और उसका उपयोग अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए किया जा रहा है।
पूंजीगत व्यय रिकार्ड 43 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। केंद्र सरकार भी राज्य के इस दिशा में किए जा रहे प्रयास की सराहना कर चुकी है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2022-23 में 12 हजार करोड़ रुपये का ऋण ही लिया गया है, जबकि 38 हजार करोड़ रुपये से अधिक ऋण लेने की पात्रता है।
तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है बजट
सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के बजट की तैयारी प्रारंभ कर दी है। यह तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। चुनाव वर्ष होने के कारण इसमें सभी वर्गों को साधने के लिए प्रविधान किए जाएंगे। राज्य के ऊपर अधिक वित्तीय भार न आए, इसके लिए सरकार राशि जुटाने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की कार्ययोजना बनाकर काम कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो बैठक भी कर चुके हैं।