कोरोना से अनाथ बच्चों का डाटा हो रहा लीक, राष्ट्रीय बाल आयोग ने आपत्ति जताई
राष्ट्रीय बाल आयोग ने शासन से मांगी रिपोर्ट ।
By Lalit Katariya
Edited By: Lalit Katariya
Publish Date: Thu, 20 May 2021 03:59:25 PM (IST)
Updated Date: Thu, 20 May 2021 03:59:25 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश में काेरोना से अनाथ हुए बच्चों को सरकार पांच हजार रुपये का पेंशन देने वाली है। इसके लिए बच्चों का डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोरोना से अनाथ बच्चों का डाटा साझा करने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मप्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है। आयोग को शिकायत मिली है कि मप्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान निराश्रित हुए बच्चों के पुनर्वास के जो लिए डेटा तैयार करा रही है, वह यूनिसेफ के साथ भी साझा किया जा रहा है। राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट) के खिलाफ है। आयोग का कहना है कि स्वयं सेवी संस्था को डाटा साझा करने से आगे चलकर उसका दुरुपयोग होने का खतरा बना रह सकता है। इस मामले में आयोग ने मप्र शासन के चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि डाटा साझा करना बाल संरक्षण अधिकार के लिए बने नियम और कानून के खिलाफ है। ऐसे काम को करने के लिए दो सरकारी एजेंसियां डब्ल्यूसीडी और राष्ट्रीय बाल आयोग हैं। आयोग ने सरकार से कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के 2015 के सेक्शन 74 के मुताबिक बच्चों की पहचान पता उम्र स्कूल नाम आदि की जानकारी किसी तरह से साझा नहीं की जा सकती है। इस तरह से एनजीओ को अनाथ बच्चों का डाटा देने से उसके दुरुपयोग की भी आशंका है। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ सरकार से डाटा लेने के लिए अधिकृत भी नहीं है। आयोग का कहना है कि जुवेनाइल एक्ट 2015 के सेक्शन 2(14) के तहत ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने माता पिता को खो दिया है आैर निराश्रित है, उनका संरक्षण सेक्शन 31 के तहत बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के माध्यम से किया जाना चाहिए। आयोग ने सरकार से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि किसी भी कीमत पर बच्चों से जुड़ी जानकारी लीक ना हो।