मराठा साम्राज्य के महान योद्घा श्रीमंत बाजीराव पेशवा (मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री) के 279 पुण्यतिथि स्मृति दिन (28 अप्रैल 1740 ) पर
नर्मदा किनारे आराम कर रही बाजीराव पेशवा की रूह
भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। मराठा साम्राज्य के महान योद्घा श्रीमंत बाजीराव पेशवा का भोपाल और मध्यप्रदेश से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने भोपाल में घेराबंदी कर मालवा में मुगलों से मराठाओं का आधिपत्य स्वीकार करवाया था। उनका निधन 28 अप्रैल 1740 के दिन नर्मदा नदी के किनारे हुआ था। खरगौन जिले के रावेरखेड़ी में उनका अंतिम संस्कार हुआ और उनकी समाधि भी यहीं स्थित है।
संजय लीला भंसाली की फिल्म बाजीराव-मस्तानी ने बाजीराव के किरदार को लोगों की याद में ताजा करवाया था। मस्तानी का संबंध मध्यप्रदेश से ही था। बाजीराव पेशवा के वंशज नवाब शादाब अली बहादुर के मुताबिक मस्तानी बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की बेटी थीं। 1729 में बाजीराव अपनी सेना लेकर बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की सहायता करने पहुंचे थे। मस्तानी, बाजीराव पेशवा प्रथम की दूसरी पत्नी थीं। उनके पुत्र शमशेर बहादुर की मृत्यु पानीपत की तीसरी जंग में हुई थी। उसके बाद उनके बेटे अली बहादुर बांदा रियासत के नवाब से उनका वंश आगे बढ़ा।
पेशवा बाजीराव प्रथम का कार्यक्षेत्र महाराष्ट्र से लेकर वर्तमान मप्र, उप्र, गुजरात और दिल्ली तक फैला था।
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41 से ज्यादा निर्णायक युद्घ लड़े और वे सभी में विजयी
-पेशवा बाजीराव प्रथम 20 वर्ष की आयु में सन 1720 में 'पेशवा' (मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री) पद पर नियुक्त हुए।
-20 साल कार्यकाल में बाजीराव ने 41 से अधिक निर्णायक युद्घ लड़े और वे सभी में विजयी रहे। इनमें मालवा, धार, पालखेड, बुंदेलखंड, दिल्ली और भोपाल के युद्घ प्रमुख हैं।
- बाजीराव ने दक्खन के निजाम को परास्त किया और उसे संधि करने पर मजबूर कर दिया।
-सन 1728 में बाजीराव की सेना ने मालवा पर आक्रमण किया और मुगलों से मालवा को स्वतंत्र किया।
- सन 1729 में बाजीराव सेना लेकर बुंदेलखंड राजा छत्रसाल की सहायता करने पहुंचे और मुगल सेनापति मुहम्मद खान बंगश को हराया। (बाजीराव मस्तानी फिल्म की शुरूआत में यही युद्घ दिखाया जाता है।)
28 मार्च 1737 को पेशवा बाजीराव ने मराठों की एक बड़ी सेना लेकर दिल्ली के लाल किले में मुगलों को घेर लिया। मुगल बादशाह लाल किले में छिप गया। मीर हसन कोका के नेतृत्व में आठ हजार मुगल सैनिकों ने बाजीराव की मराठा सेना को रोकने का प्रयास किया लेकिन मुगल सेना को धूल चटाकर मराठा सेना पुणे लौट आई।
- मुगल बादशाह ने निजाम उल मुल्क को सत्तर हजार सैनिकों की सेना के साथ मराठों से हिसाब चुकता करने भेजा। मुगल सेना जब भोपाल पहुंची तो मराठे पहले से तैयार बैठे थे, उन्होंने मुगलों को घेर कर उनका रसद पानी बंद कर दिया। आखिरकार हारकर मुगलों को संधि करनी पड़ी। । 7 जनवरी 1738 को हुई इस संधि में मुगलों ने मालवा प्रदेश पर मराठों का आधिपत्य स्वीकार कर लिया। शहर के इतिहासकार श्याम मुंशी भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि मालवा पर मुगलों ने मराठों का आधिपत्य स्वीकार किया था।
- अप्रैल 1740 में बाजीराव सेना लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे पर तेज बुखार के कारण 28 अप्रैल 1740 को उनकी मृत्यु हो गई।
-28 अप्रैल 1740 को ही नर्मदा के किनारे रावेरखेड़ी नामक स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी समाधि यहां मौजूद है।
(बाकलम नवाब शादाब अली बहादुर, जो कि बाजीराव की आठवी पीढ़ी के वंशज हैं। वे भोपाल में रहते हैं और बांदा स्टेट से ताल्लुक रखते हैं)
वर्जन
खरगौन जिले के रावेरखेड़ी में बाजीराव पेशवा की समाधि है। समाधि महेश्वर डेम प्रोजेक्ट की डूब में आ रही है। हमारी मांग राज्य सरकार से है कि बाजीराव पेशवा की समाधि को संरक्षित रखने के लिए महेश्वर प्रोजेक्ट की जद से इसे बाहर रखा जाए।
- नवाब अली बहादुर बाजीराव पेशवा भोपाल