नईदुनिया प्रतिनिधि, मालवा-निमाड़ : अंचल के जिन खेतों में पूरे देश का पेट भरने वाला सोयाबीन और देश को कपड़ा पहनाने वाला कपास उगता है, उन्हीं खेतों में इन दिनों आंसुओं की खेती हो रही है। दरअसल, मानसून ने जाते-जाते अंतिम दौर में जो पानी बरसाया, उसने पकी और खड़ी फसल को नष्ट या खराब कर दिया है। कहीं-कहीं तो 80 प्रतिशत फसल को नुकसान हुआ है।
अब किसान कभी खेतों में खराब पड़ी फसल को देखकर रो रहे हैं, तो कभी जाते बादलों को कोस रहे हैं। खेतों में नुकसानी का सर्वे करने सरकार के सिपाही भी कहीं पहुंचे हैं, कहीं नहीं। सर्वे के लिए किसानों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
किसान संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द नुकसानी का सर्वे करा मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। कुल मिलाकर जब देश के शहरों में त्योहारों का उल्लास छाने लगा है, वहीं गांवों और खेतों में बर्बादी का अंधकार पसर गया है।
खंडवा जिले में करीब ढाई लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, 10 हजार हेक्टेयर में प्याज और 55 हजार हेक्टेयर में कपास की बोवनी की गई थी। लगातार वर्षा होने से प्याज और सोयाबीन की फसल को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान होने की बात किसान कह रहे हैं। सर्वे के लिए वे कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक सर्वे दल गठित नहीं किए गए हैं।
इसी तरह झाबुआ जिले में एक लाख 89 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी की गई है। भारतीय किसान यूनियन के सचिव जितेंद्र पाटीदार का कहना कि अधिक वर्षा से फसलों को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, लेकिन प्रशासन सर्वे नहीं करा रहा है। खंडवा में इस मामले को लेकर किसानों का धरना जारी हैं।
शाजापुर जिले में सोयाबीन का रकबा 2.60 लाख हेक्टेयर है। कुछ जगह सर्वे कार्य चल तो रहा है, लेकिन रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। उप संचालक कृषि केएस यादव के अनुसार राजस्व विभाग टीम सर्वे करा रही है। किसानों के अनुसार फसलों को 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।
रतलाम जिले के सवा तीन लाख हेक्टेयर में रबी की बोवनी की गई थी। अतिवृष्टि, बीमारी से फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। किसान संघ के जिलाध्यक्ष ललित पालीवाल के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है, लेकिन आकलन धीमी गति से हो रहा है। सहायक संचालक कृषि भीका वास्के पांच से आठ प्रश ही नुकसानी मान रहे हैं।
मंदसौर जिले में 2.23 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की गई थी। जुलाई में कम वर्षा होने और फसल कटाई के समय लगातार वर्षा से 40 से 60 प्रश तक फसलों को नुकसान होने का अनुमान है। यहां भी सर्वे शुरू नहीं हो पाया है।