Coronavirus Bhopal News: भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि। नौ दिन की बच्ची के सामने मां के दूध का संकट खड़ाNews: भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि। नौ दिन की बच्ची के सामने मां के दूध का संकट खड़ा हो गया। उसकी मां उसे जन्म देने के पांच दिन बाद ही चल बसी। बच्ची का दूध के बिना रो-रोकर बुरा हाल था। बच्ची के पिता ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट वायरल कर दिया। अब बच्ची को दो मां मिल गई हैं, जो उसे अपना दूध उपलब्ध कराएंगी।
दरअसल राजधानी की एक वकील की गर्भवती पत्नी कोरोना संक्रमित हो गई। उसने 11 अप्रैल को एक बच्ची को जन्म दिया और 15 अप्रैल को कोरोना पी.डित मां की मृत्यु हो गई। अब दुधमुंही बच्ची के सामने मां का दूध का संकट खड़ा हो गया। बच्ची अभी अस्पताल में भर्ती है। इंटरनेट मीडिया के जरिए पिता ने यह पोस्ट वायरल की, जिसमें लिखा है कि बच्ची को मदर मिल्क ही जरूरत है।
कुछ जिम्मेदार नागरिकों ने पोस्ट को देखा। इनमें बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) सदस्य डॉ. कृपांशकर चौबे और जीएसटी में असिस्टेंट कमिश्नर उनकी पत्नी रक्षा दुबे चौबे भी शामिल थे। इन्होंने अपने परिचितों में उन महिलाओं से संपर्क किया जो हाल ही में मां बनी हैं।
उनकी कोशिश रंग लाई और फिलहाल विशेष किशोर पुलिस इकाई में आरक्षक माया सिलोरिया और राज्य जीएसटी में कराधान सहायक ज्योति नापित ने बच्ची को दूध मुहैया कराने की जिम्मेदारी ली है। डॉ. चौबे ने बताया कि उम्मीद है कि जब तक बच्ची को आवश्यकता है उसके लिए आसानी से मां के दूध की व्यवस्था हो पाएगी। उन्होंने कहा कि जो भी बच्ची की मदद को इच्छुक हों वह मोबाइल नंबर पर 9425628989 पर संपर्क कर सकते हैं।
ऐसे बच्चों लिए को-आर्डिनेशन सेंटर बनाने की योजना
रक्षा चौबे ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि नौ दिन की बच्ची मां के दूध के लिए रो रही है तो एक मां होने के नाते मन बहुत उदास हुआ। इसके बाद फेसबुक और वाट्सएप ग्रुप में इस पोस्ट को शेयर किया। इसके बाद दो महिलाएं मिली। उन्होंने बताया कि अभी कोविड काल में मां की दूध की समस्या बहुत हो रही है तो इसके लिए एक को-आर्डिनेशन सेंटर बनाने की योजना है।
सभी की है जिम्मेदारी
बच्ची को अपना दूध मुहैया कराने वाली ज्योति नापित ने कहा कि वह जब तक संभव हो सकेगा बच्ची की मदद करेंगी। वहीं आरक्षक माया सिलोरिया इसके पहले भी कुछ बच्चों की मदद कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि विशेष किशोर पुलिस इकाई में पदस्थ होने के कारण बच्चों के मामलों से जुड़ी हूं। अपनी पहली डिलेवरी के समय भी कुछ बच्चों को रेस्क्यू कराने के दौरान उन्हें फीड कराया है।